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डीजल सस्ता, माल भाड़ा महंगा
कम करो भाड़ा : माल भाड़े पर राज्य सरकार का नियंत्रण नहीं ट्रांसपोर्ट नगर नहीं होने से सरकार को हो रहा है नुकसान रांची : राज्य सरकार का माल भाड़े पर कोई नियंत्रण नहीं है. नियंत्रण नहीं होने के कारण डीजल की कीमत घटने के बावजूद भी भाड़े में कमी नहीं हो रही है. बल्कि […]
कम करो भाड़ा : माल भाड़े पर राज्य सरकार का नियंत्रण नहीं
ट्रांसपोर्ट नगर नहीं होने से सरकार को हो रहा है नुकसान
रांची : राज्य सरकार का माल भाड़े पर कोई नियंत्रण नहीं है. नियंत्रण नहीं होने के कारण डीजल की कीमत घटने के बावजूद भी भाड़े में कमी नहीं हो रही है. बल्कि तीन माह पहले जो माल भाड़ा था, उसमें 100 से लेकर 300 रुपये प्रति टन तक की वृद्धि हुई है.
अगस्त 2014 से अब तक करीब 13.01 रुपये की कमी डीजल की कीमत में आयी है. व्यापारी भी मानते हैं कि ऐसा सरकार की ओर से गुड्स ट्रांसपोर्टरों के कारोबार पर ध्यान नहीं देने के कारण है. सरकार इनको कोई सुविधा नहीं देती है. इस कारण सरकार किराये पर नियंत्रण भी नहीं कर पा रही है.
दूसरे राज्यों में सरकार को मिलता है राजस्व
गुड़गांव, अबंला सहित कई राज्यों के महानगरों में सरकार ने ट्रांसपोर्टनगर बनवाया है. वहां के संचालन की जिम्मेदारी गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन को दी गयी है. ट्रांसपोर्ट नगर की अनुमति के बिना कोई भी माल भाड़े का कारोबार इन राज्यों में नहीं होता है. कारोबार के एवज में सरकार को राजस्व भी प्राप्त होती है.
रांची में रोज आते-जाते हैं 400 माल वाहक वाहन
केवल राजधानी रांची से हर दिन 350-400 माल वाहक वाहनों का आवागमन होता है. यहां से सब्जी-धान दूसरे राज्यों में जाते हैं. दूसरे राज्यों से कई प्रकार के उत्पाद आते हैं. राज्य में सबसे अधिक गुड्स वाहन का कारोबार कोयला और लौह अयस्क का होता है.
माल भाड़े का पूरा कारोबार मांग और आपूर्ति पर आधारित है. कच्चे माल का किराया अधिक होता है. पक्के माल का किराया कुछ कम होता है. जब कच्च माल ज्यादा निकलने का मौसम होता है, तो ज्यादा माल भाड़ा लगता है. जैसे अभी राज्य में सब्जी और धान दूसरे राज्यों में जा रहे हैं. इस कारण अभी माल भाड़े की कीमत में वृद्धि हो गयी है.
संजय जैन अध्यक्ष, गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन
सरकार 14 साल में एक ट्रांसपोर्ट नगर नहीं बना सकी है. शहर में 14 घंटे की नाकेबंदी रहती है. माल वाहक वाहनों के लिए कोई सुविधा नहीं है. सरकार की सोच में कमी है. इस कारण कई व्यापार सरकार के नियंत्रण में नहीं है. इस कारण इसका फायदा जनता को नहीं मिल पाता है.
पवन कुमार शर्मा
उपाध्यक्ष, झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स
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