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डीजल हो गया सस्ता, कम करो भाड़ा

रांची: अगस्त, 2014 से डीजल-पेट्रोल की कीमत लगातार घटी है. डीजल के दाम में 13 रुपये की कमी हो चुकी है. मूल्य घट कर वर्ष 2010-2011 के स्तर पर पहुंच गया है. लेकिन बस व ऑटो के यात्रियों को कोई राहत नहीं मिली. इससे पहले डीजल के दाम बढ़ने के साथ ही भाड़ा में बढ़ोतरी […]

रांची: अगस्त, 2014 से डीजल-पेट्रोल की कीमत लगातार घटी है. डीजल के दाम में 13 रुपये की कमी हो चुकी है. मूल्य घट कर वर्ष 2010-2011 के स्तर पर पहुंच गया है. लेकिन बस व ऑटो के यात्रियों को कोई राहत नहीं मिली. इससे पहले डीजल के दाम बढ़ने के साथ ही भाड़ा में बढ़ोतरी होती रही.

पिछले चार वर्षो में जब-जब पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ी, अगले दिन बस व ऑटो एसोसिएशन भाड़ा बढ़ाने का एलान करते रहे. अब जबकि डीजल की कीमत चार वर्ष पहले की दर पर पहुंच गयी है, तो भी बस से लेकर ऑटो तक के भाड़े जस के तस हैं. राज्य में यात्री भाड़ा को नियंत्रित करनेवाली मिशनरी फेल है. बस संचालकों व ऑटो चालकों की मनमानी चल रही है. 2008 के बाद से सरकार ने तो भाड़ा का निर्धारण भी नहीं किया है. भाड़ा कम करने के लिए आवाज उठने लगी है.

तीन रुपये तक बढ़ा दिया ऑटो का भाड़ा : डीजल ऑटो के भाड़ा में 15 सितंबर 2012 को बढ़ोत्तरी की गयी थी. उस समय हर रूट के भाड़ा में दो से तीन रुपये की बढ़ोतरी की गयी थी. उस समय लगातार डीजल के मूल्य में वृद्धि हुई थी. फिर दो वर्ष के बाद 5 अगस्त 2014 को डीजल के मूल्य में बढ़ोतरी के बाद फिर से दो तीन रुपये की वृद्धि की गयी.
ऐसे बढ़ा बस किराया
सिमडेगा 140 170
मेदिनीनगर 110 130
चतरा 100 120-110
हजारीबाग 60 80
धनबाद 110 130
गिरिडीह 150 170
चाईबासा 100 160
बंदगांव 65 80
खूंटी 90 120
मुरहू 70 100
बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ व बंगाल में भाड़ा कम
बस ऑनर एसोसिएशन, रांची के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह ने कहा कि 28 जनवरी 2015 को बस ऑनर एसोसिएशन व झारखंड यात्री संघ के साथ भाड़ा निर्धारण कमेटी की बैठक हुई थी. परिवहन आयुक्त व भाड़ा निर्धारण के लिए दो गैर सरकारी सदस्य भी बैठक में थे. सरकार की ओर दो दिनों के अंदर भाड़ा निर्धारण की बात कही गयी थी. लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी भाड़ा तय नहीं किया गया. इधर, एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि बिहार,ओड़िशा व छत्तीसगढ़, प बंगाल में 80 पैसा प्रति किमी भाड़ा तय किया गया है, जबकि झारखंड में वर्तमान में 125 पैसा प्रति किमी भाड़ा तय है. उनका कहना है कि झारखंड में बस से स्टैंड शुल्क सबसे अधिक लिया जाता है, जबकि स्टैंड में कोई सुविधा व सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है.
वसूली बंद हो, तो भाड़ा घटायेंगे
महासंघ के संस्थापक दिनेश सोनी ने कहा कि एक -दो दिन के अंदर बैठक में भाड़ा कम करने का निर्णय लिया जायेगा. विभिन्न स्थानों पर निविदा व परमिट के नाम पर अवैध वसूली बंद हो जाये, तो भाड़ा में दो रुपये की कटौती कर देंगे. दो नवंबर 2014 को डीजल के मूल्य में कमी होने के बाद हर रूट के भाड़ा में एक से दो रुपये की कमी की गयी थी. साथ ही विद्यार्थियों व मजदूरों के लिए सामान्य भाड़ा से दो रुपये कम लेने का निर्णय महासंघ ने लिया था.

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