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जनजातियों की कला जानना जरूरी : दादेल
रांची: राज्य में पहली बार आदिम जनजातियों की कला परंपरा पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. मंगलवार को कार्यशाला का उदघाटन विभाग की सचिव वंदना दादेल ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कार्यशाला का आयोजन आदिम जनजातियों की कला को जानने-समझने के लिए किया गया है. यह आवश्यक भी […]
रांची: राज्य में पहली बार आदिम जनजातियों की कला परंपरा पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. मंगलवार को कार्यशाला का उदघाटन विभाग की सचिव वंदना दादेल ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कार्यशाला का आयोजन आदिम जनजातियों की कला को जानने-समझने के लिए किया गया है. यह आवश्यक भी है. इससे पता चलेगा कि आदिम जनजातियों की कला क्या है? उनकी अवधारणा क्या है? कार्यशाला से यह भी पता चलेगा कि वे अपने पुरखों के ज्ञान व जीवनशैली को किस तरह से देखते हैं? अगर यह खत्म हो रहा है तो उसे बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?
वंदना दादेल ने कहा कि कार्यशाला के माध्यम से आदिम जनजातियों की कला पर एक रोड मैप तैयार होगा. इसके आधार पर विभाग भी आदिम जनजातियों की कला के विकास व संरक्षण की दिशा में काम कर सकेगा.
इस अवसर पर आदिम जनजातियों की कला से जुड़ी विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया. हेसेल ने पारंपरिक वस्त्र और आभूषण विषय पर बात रखी. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के खास कपड़े व गहने उनकी पहचान को इंगित करते हैं. कार्यक्रम में प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की वंदना टेटे सहित अन्य उपस्थित थे. इस दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन द्वारा कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सहयोग से किया जा रहा है.
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