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सैप में फरजी तौर पर 22 लोगों की बहाली की गयी थी, सूबेदार एके झा निर्दोष साबित

रांची: सैप (स्पेशल ऑक्जलरी फोर्स ) में सिविल को बहाल करने के एक रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था. रैकेट द्वारा फरजी तौर पर 22 लोगों की बहाली की गयी थी. जब उनके प्रमाण पत्र की जांच सेना से करायी गयी, तब पता चला कि कई लोग तो सेना में थे ही नहीं. वहीं कुछ लोग […]

रांची: सैप (स्पेशल ऑक्जलरी फोर्स ) में सिविल को बहाल करने के एक रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था. रैकेट द्वारा फरजी तौर पर 22 लोगों की बहाली की गयी थी. जब उनके प्रमाण पत्र की जांच सेना से करायी गयी, तब पता चला कि कई लोग तो सेना में थे ही नहीं. वहीं कुछ लोग सेना में थे, लेकिन उन्हें गलत आयु व मेडिकल प्रमाण पत्र देने के कारण बरखास्त कर दिया गया था. 22 लोग चाईबासा में सैप में बहाल होने के लिए पहुंचे थे. शक होने पर बहाली प्रक्रिया में शामिल सूबेदार एके झा ने सवाल उठाया, तो रैकेट में शामिल लोगों ने उन्हें ही आरोपी बना दिया.
उसके बाद सैप-2 बटालियन, जमशेदपुर के हलुदबनी कैंप जैप-छह के समादेष्टा के नाम दो गुमनाम पत्र भेज कर सूबेदार एके झा पर पैसा लेकर बहाली करने का आरोप लगाया गया. उस गुमनाम पत्र पर जमशेदपुर डीएसपी सह यातायात एवं प्रशिक्षण के प्राचार्य को जांच का जिम्मा सौंपा गया. जांच में सूबेदार पर लगे सभी तरह के आरोप गलत पाये गये. उन्हें निदरेष साबित कर दिया गया.
उन्होंने लिखा कि किसी पदाधिकारी ने अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए दूसरे के माध्यम से साजिश के तहत गुमनाम पत्र भेजा है. जिन पुलिसकर्मियों के नाम से शिकायत पत्र भेजा गया था, उससे सभी पुलिसकर्मियों ने अनभिज्ञता जतायी. जिन पुलिसकर्मियों के गुमनाम पत्र की बात कही गयी है, उसमें एक मृत पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. सभी तरह की जांच में सूबेदार को निदरेष पाया गया है. सूबेदार एके झा सैप-दो के हैं और अभी हजारीबाग में कार्यरत हैं.

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