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शासन से मुक्त हो शिक्षा: मुकुल

रांची: सत्ता परिवर्तन से शिक्षा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा, बल्कि जब समाज में बदलाव होगा, तभी देश की शिक्षा बदलेगी. अपने-आप को बदलना होगा. समाज की जरूरतों को देखना होगा. समाज आधारित शिक्षा नीति बने. शिक्षा व्यवस्था शिक्षाविदों के हाथ में हो. शिक्षा शासन से मुक्त हो. वर्तमान शिक्षा पद्धति ने देश में […]

रांची: सत्ता परिवर्तन से शिक्षा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा, बल्कि जब समाज में बदलाव होगा, तभी देश की शिक्षा बदलेगी. अपने-आप को बदलना होगा. समाज की जरूरतों को देखना होगा. समाज आधारित शिक्षा नीति बने. शिक्षा व्यवस्था शिक्षाविदों के हाथ में हो. शिक्षा शासन से मुक्त हो. वर्तमान शिक्षा पद्धति ने देश में भारतीयता की भावना खत्म कर दी है. संवेदना खत्म हो गयी है. आज की शिक्षा लोगों को संवेदनहीन और व्यक्तिवादी बना रही है.

इससे परिवार और समाज बिखर रहे हैं. संवेदना खत्म होने के कारण यह स्थिति पैदा हो गयी है. व्यक्तिवाद के कारण ही पश्चिम के देशों में बिखराव आ रहा है. उक्त बातें भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने कही. वे शनिवार को रांची विश्वविद्यालय के मोरहाबादी स्थित केंद्रीय पुस्तकालय के शहीद स्मृति सभागार में आयोजित विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली की चुनौतियां विषयक गोष्ठी का आयोजन भारतीय शिक्षण मंडल झारखंड की ओर से किया गया था.

श्री कानिटकर ने दुनिया के देशों में लागू शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चीन की शिक्षा व्यवस्था से वहां के ग्रामीणों बड़ा असंतोष पैदा हो रहा है. अमेरिका में 12वीं तक की शिक्षा नि:शुल्क दी जाती है. यह सरकार का दायित्व है. अमेरिका के 16 राज्यों में कुछ स्कूलों का प्रबंधन निजी हाथों में दिया गया है. वहां की व्यवस्था से भी लोगों में असंतोष बढ़ रहा है. परिवार-समाज के बिखरने के कारण ही अमेरिका में आर्थिक संकट पैदा हुआ. दक्षिण कोरिया ने 15 वर्षो में शिक्षा में गुणात्मक सुधार किया है. नर्सरी से प्राथमिक कक्षा की व्यवस्था को काफी मजबूत किया है. पांच वर्ष की ट्रेनिंग के बाद प्राथमिक कक्षा के लिए शिक्षक नियुक्त होते हैं. वहां प्राथमिक शिक्षक को प्रोफेसर से अधिक सुविधा दी जाती है. माना जाता है कि आठ वर्ष तक बच्चे जो सीखते हैं, वहीं से इमारत खड़ी होती है. इसे दक्षिण कोरिया ने बखूबी समझा और कठोरता से अमल किया है. आज की व्यवस्था में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती है. अंगरेजों ने 1823 में पहली बार देश में शैक्षणिक सर्वे कराया था. उन्होंने कहा कि भारतीय चिंतन का आधार परिवार है. लोगों को सामूहिक जीवन जीने लायक बनाया जाता है.
आरएसएस के राकेश लाल ने कहा कि मूल्यों में हास से समाज में विकृतियां पैदा हो रही हैं. डॉ अजय चट्टोराज ने कहा कि मूल्य आधारित शिक्षा का अर्थ आज बदल गया है. लोग उसे मार्केट आधारित मान बैठे हैं. शिक्षा संस्कार पैदा करनेवाली हो. डॉ ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि शिक्षा से नैतिकता, समाजिकता व भारतीयता खत्म होती जा रही है. आज की शिक्षा प्राप्त करनेवाला व्यक्ति घर, परिवार, समाज व देश से कट जाता है. ज्योति प्रकाश ने मंच का संचालन किया, जबकि सत्येंद्र कुमार मल्लिक ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर डॉ अजय कुमार चौधरी, सिद्धार्थ मजूमदार, डॉ चंद्रकांत शुक्ला, बीके मिश्र, शैलेश सिन्हा, माला भट्टाचार्य, उषा पांडेय, डॉ पंकज सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे.

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