रांची: एनएच-33 के चौड़ीकरण के लिए बनाये गये प्रस्ताव में जमशेदपुर पारडीह स्थित प्रसिद्ध काली मंदिर को चिह्न्ति करने के बाद मामला गंभीर हो गया है. मंदिर की दीवार पर हाल ही में चिह्न् लगा दिया गया है. इससे इस बात की आशंका बन गयी है कि कहीं इस ऐतिहासिक मंदिर का अस्तित्व ही खतरे में न पड़ जाये. चांडिल की ओर से वर्तमान एनएच को चौड़ा करने का काम चल रहा है, जो मंदिर से एक किलोमीटर से भी कम दूरी तक पहुंच गया है. हालांकि एनएच के अधिकारी इस संबंध में कुछ भी नहीं बोल रहे हैं, पर दो साल पहले ही मंदिर प्रबंधन की ओर से सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त को पत्र सौंप कर यह मांग की गयी थी कि किसी भी हाल में मंदिर को क्षति नहीं पहुंचे.
डीसी ने एनएच को यह रिपोर्ट भेज दी थी. यह मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा के पास भी पहुंचा था. उन्होंने आश्वासन दिया था कि किसी भी हाल में काली मंदिर को नुकसान नहीं होगा. जैसे ही भक्तों को जानकारी मिली कि रोड अब मंदिर के करीब तक पहुंच गया है, वे काली मंदिर में जुटने लगे. खबर है कि दो अगस्त को बड़ी संख्या में भक्त काली मंदिर में जमा होंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे. यह मंदिर जूना अखाड़ा से जुड़ा है, जिसका संचालन नगा संत किया करते हैं. खबर है कि दो अगस्त की बैठक में मुंडा समाज के भी लोग पारंपरिक हथियार के साथ भाग लेंगे और मंदिर की रक्षा का संकल्प लेंगे.
इधर, मंदिर प्रबंधन का कहना है कि वे रोड चौड़ीकरण के विरोधी नहीं हैं, पर चाहते हैं कि किसी हाल में मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचे. अभी जिस दिशा में रोड बनने जा रहा है, वहां रास्ते में न सिर्फ मंदिर पड़ेगा, बल्कि वहां तीन प्रमुख महात्माओं की समाधि भी है. इन्हें कहीं स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. मंदिर प्रबंधन का कहना है कि सरकार हस्तक्षेप करे और एनएच का चौड़ीकरण ऐसे करे, ताकि मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचे और धार्मिक भावना आहत न हो.