रांची: देवघर व जमशेदपुर से इकट्ठा किये गये आयोडिन नमक के लगभग 75 फीसदी सैंपल जांच में फेल हो गये हैं. इनमें आयोडिन की मात्र तय मानक से कम पायी गयी है. स्वास्थ्य विभाग इसे बड़ी लापरवाही मान रहा है. जमशेदपुर के तीन में से दो तथा देवघर के छह में से चार सैंपल में भी आयोडिन की मात्र मानक स्तर से कम पायी गयी है. सभी फेल सैंपल वाले नमक राजस्थान व गुजरात में निर्मित हैं. संबंधित अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ) इसके खिलाफ मामला दायर करेंगे.
खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम के तहत लोहरदगा, सिमडेगा, देवघर, रांची, जामताड़ा, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो व जमशेदपुर से नमक का सैंपल इकट्ठा कर इसे जांच के लिए नामकुम स्थित लैब में भेजा गया था. रांची व लातेहार सहित अन्य जिलों के कुछ नमक सैंपल भी तय मानक से कमतर पाये गये हैं. जांच रिपोर्ट में जिक्र है कि सैंपल में आयोडिन का तय मानक 15 पार्ट्स/मिलियन (पीपीएम) के बजाय छह से 10 पीपीएम है. इन सैंपलों को सड़क मार्ग से आ रहे ट्रकों, रेलवे स्टेशन पर उतरे रैक व नमक गोदामों से इकट्ठा किया गया है. पैक ब्रांडेड नमक में कहीं कोई शिकायत नहीं मिली है.
आयोडिन संबंधी स्वास्थ्य कार्यक्रम : स्वास्थ्य विभाग आयोडिन–न्यूनता विकार नियंत्रण कार्यक्रम संचालित करता है. इसके तहत आयोडिन नमक खाने से होने वाले लाभ व इसकी कमी से संभावित नुकसान का प्रचार–प्रसार किया जाता है. लोगों को बताया जाता है कि वे हंसता सूरज चिह्न् देख कर ही आयोडिन नमक खरीदें.
आयोडिन की कमी से नुकसान
नवजात व बच्चों में : गर्भपात व मृत बच्च पैदा होना, गर्भस्थ शिशु के शारीरिक विकास में बाधा, बच्चे का मानसिक रूप से मंद, बहरा–गूंगा या बौना होना. वयस्कों में : स्फूर्ति की कमी व शारीरिक थकावट तथा घेंघा (गला सूजना) रोग.
(स्रोत : एनआरएचएम का बुकलेट)