रांची: झारखंड में मध्याह्न् भोजन (मिड डे मील) की निगरानी अच्छी तरह से नहीं की जाती है. यही वजह है कि झारखंड में भी आये दिन मिड डे मील खाने से बच्चों के बीमार होने का मामला सामने आते रहता है. कांके प्रखंड के एक प्राथमिक विद्यालय की छात्र की गरम दाल में गिर जाने से मौत हो गयी थी. राज्य में मध्याह्न् भोजन की निगरानी के लिए समय-समय पर जारी दिशा-निर्देश का पालन नहीं होता. खाना बनाने के दौरान साफ -सफाई का पूरा ख्याल नहीं रखा जाता. सभी स्कूलों में किचन शेड तक नहीं है. खुले आसमान के नीचे मध्याह्न् भोजन बनाया जाता है. कक्षा में ही मध्याह्न् भोजन बनाया जाता है.
चावल में गंदगी भी
राजधानी के स्कूलों में बच्चों को दिये जा रहे चावल में कीड़े मिलने की शिकायत आम है. मध्य विद्यालय, कोकर में बुधवार को बच्चों के लिए भात बनाया जा रहा था, उस चावल में कई कीड़े मिले. चावल में काफी गंदगी थी. विद्यालय में रोज करीब चार सौ बच्चों को खाना खिलाया जाता है. एक दिन में लगभग 40 से 50 किलो चावल का भात बनता है. स्कूल खुलने के बाद 11 बजे से खाना बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है. डेढ़ बजे बच्चों को खाना खिलना होता है. इस दौरान 50 किलो चावल की सफाई संभव नहीं हो पाती. कई स्कूल तो ऐसे हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या एक हजार से अधिक है. प्रति दिन एक क्विंटल चावल की खपत होती है. तीन घंटे में चावल की सफाई से लेकर खाना बनाना व खिलाना होता है.
पेड़ के नीचे बनता है खाना
सभी स्कूलों में खाना बनाने के लिए किचन शेड नहीं है. बुढमू प्रखंड स्थित राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय ओझासाढ़म में पेड़ के नीचे खाना बनता है. जहां खाना बनता है, उसके चारों ओर झाड़ी है. खुले जगह में खाना बनने के कारण आवारा पशु व कीड़े–मकोड़े खाने के आसपास मंडराते रहते हैं. इससे हमेशा यहां अनहोनी की संभावना बनी रहती है.
धुआं से भरा रहता क्लासरूम
स्कूलों में किचन शेड नहीं होने कारण स्कूल भवन में ही खाना बनाया जाता है. स्कूल भवन में खाना बनाने के कारण क्लास रूम में धुआ भर जाता है. प्राथमिक विद्यालय, कोकर यूनियन में स्कूल के बरामदे पर खाना बनाया जाता है. कमरे में बच्चे पढ़ाई करते हैं. लकड़ी पर खाना बनने के कारण कमरे में धुआं भर जाता है. इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है.
सांप-छिपकली मिली थी
धनबाद जिले के एक स्कूल में मध्याह्न् भोजन में सांप मिलने के कारण 20 बच्चे बीमार हो गये थे.
क्या है नियम
बच्चों को मध्याह्न् भोजन देने से पूर्व शिक्षक को खाना खाना है. इसके लिए विद्यालयों में स्वाद पंजी के निर्धारण का निर्देश दिया गया था. इसके तहत अलग–अलग दिन अलग–अलग शिक्षकों को भोजन करना था.