टाटा स्टील ने जतायी चिंतानयी दिल्ली. इस्पात की मांग क्षमता विस्तार से अधिक होने की संभावना के मद्देनजर इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए खनन पट्टे के नवीकरण और वन मंजूरी के संबंध में नीतिगत स्पष्टता और स्थिरता आवश्यक है. यह बात टाटा स्टील ने कही है. कच्चे माल के संकट से जूझ रही इस्पात क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ने पिछले 100 साल में पहली बार इस साल लौह अयस्क आयात का सहारा लिया. कंपनी ने कहा कि वक्त की जरूरत यह है कि उचित नीतिगत समर्थन के साथ नये निवेश का रास्ता साफ किया जाये. टाटा स्टील ने एक बयान में कहा, ‘उभरते हालात सकारात्मक नजर आते हैं, इसलिए भारतीय इस्पात निर्माताओं के सामने एक चुनौतीपूर्ण भविष्य है, क्योंकि हो सकता है कि वे बढ़ती मांग के मुताबिक क्षमता विस्तार नहीं कर सकें.’ भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता 10 करोड़ टन सालाना से थोड़ी अधिक है, जबकि उसने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 7.4 करोड़ टन इस्पात की खपत की.
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नीति व पर्यावरण मंजूरी इस्पात क्षेत्र की वृद्धि के लिए आवश्यक
टाटा स्टील ने जतायी चिंतानयी दिल्ली. इस्पात की मांग क्षमता विस्तार से अधिक होने की संभावना के मद्देनजर इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए खनन पट्टे के नवीकरण और वन मंजूरी के संबंध में नीतिगत स्पष्टता और स्थिरता आवश्यक है. यह बात टाटा स्टील ने कही है. कच्चे माल के संकट से जूझ रही इस्पात […]
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