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कोई फीलिंग नहीं, लोग विकास के भूखे : रघुवर

रघुवर दास राज्य के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में रविवार को शपथ ले रहे हैं. टाटा स्टील में बतौर मजदूर काम शुरू करने वाले रघुवर अपने संघर्ष और राजनीतिक कौशल के बूते राज्य के सर्वोच्च मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे हैं. जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से लगातार पांचवीं बार विधायक बने रघुवर आहिस्ता-आहिस्ता राजनीतिक सोपान पर […]

रघुवर दास राज्य के 10वें मुख्यमंत्री के रूप में रविवार को शपथ ले रहे हैं. टाटा स्टील में बतौर मजदूर काम शुरू करने वाले रघुवर अपने संघर्ष और राजनीतिक कौशल के बूते राज्य के सर्वोच्च मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे हैं. जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से लगातार पांचवीं बार विधायक बने रघुवर आहिस्ता-आहिस्ता राजनीतिक सोपान पर चढ़ते गये. रघुवर राज्य के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री हैं. विकास से बेपटरी और ध्वस्त गवर्नेस वाले राज्य झारखंड को राष्ट्रीय फलक पर लाने की चुनौती है. हालांकि खुद राज्य के नव निर्वाचित मुख्यमंत्री रघुवर दास का मानना है कि ये चुनौतियां अवसर भी लेकर आतीं हैं. पूरी निष्ठा और लगन से झारखंड के विकास और समृद्धि के लिए काम करेंगे. रघुवर दास का विजन साफ है. प्राथमिकताएं भी तय हैं. शपथ ग्रहण से पहले नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री के राजनीतिक सफर, सरकार के कामकाज और राज्य की चुनौतियों-समस्याओं पर प्रभात खबर के आनंद मोहन और सतीश कुमार ने लंबी बातचीत की. पेश है बातचीत के अंश.

मुख्यमंत्री चुने जाने के लिए बधाई. लंबे राजनीतिक संघर्ष के बाद इस मुकाम पर पहुंचना कैसा लग रहा है.

(मुस्कुराते हैं..लंबी सांस खींचते हुए कहते हैं )…मैंने सपने भी नहीं सोचा था कि मुख्यमंत्री बनूंगा. भाजपा की स्थापना के साथ ही इस महान पार्टी में काम करना शुरू किया. मैं एक मजदूर था. साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम किया. पार्टी के असंख्य कार्यकर्ता के समान एक सिपाही था. भाजपा की विशेषता है कि मेरे जैसे एक मामूली कार्यकर्ता पर भरोसा किया है. मेरी निष्ठा, समर्पण पर विश्वास जताया है. पार्टी के केंद्रीय नेताओं, प्रदेश के नेताओं और कार्यकर्ताओं का अभारी हूं. उसके साथ मैं यह भी मानता हूं कि यह लोकतंत्र की विशेषता है कि एक मामूली मजदूर के जीवन में भी ऐसे सुखद क्षण आ सकते हैं. 2014 में लोकतंत्र और परिपक्व हुआ है. झारखंड की जनता ने स्थिर सरकार के लिए वोट किया है. भाजपा को बहुमत तक पहुंचाया है. मैं राज्य की जनता के प्रति भी कोटी-कोटी आभार व्यक्त करता हूं.

मुख्यमंत्री बनने की बात राजनीति में तैर रही थी, तब रातें ठीक कट रही थी या कुछ दिमाग में चलता रहा?

(हंसते हुए ) मैं एक बात बताऊं. मैं सोता बहुत आराम से हूं. नींद भी जल्द आ जाती है. अपने मेहनत और कर्म पर विश्वास है.

राजनीति जीवन में क्या कभी ऐसे क्षण आये, जब आपने धैर्य खोया हो. लगा कि राजनीति को तौबा कर लूं?

एक समय आया था. राजनीति से खीज हुई थी. धैर्य भी खो रहा था, लेकिन वैचारिक रूप से पार्टी ने मजबूत बनाया है. मैं राजनीति में पद के लिए नहीं आया था. राजनीति को सेवा का मिशन माना हूं. कोई एंबिशन नहीं था. यही कारण है कि इतने लंबे राजनीतिक सफर में बेदाग हूं. पार्टी की नीतियों और सिद्धांत में चलता रहा. काजल की कोठरी में भी बेदाग हूं.

बात आधी रह गयी. किस बात पर राजनीति से खीज हो गयी थी?

छोड़ दीजिए..जीवन में ऐसे मोड़ आते हैं. आज के समय में उसका जिक्र करना सही नहीं है.

राज्य की दशा-दिशा आपसे छिपी नहीं है. आपके समक्ष कई चुनौतियां हैं?

मैंने राजनीतिक जीवन में संघर्ष किया है. चुनौतियों से बेचैन नहीं होता और न ही घबराता हूं. चुनौतियों को अवसर के रूप में देखता हूं. मैं साधारण पृष्ठभूमि से आया हूं. मेरे पिताजी खलासी थे. जीवन की परेशानियों को नजदीक से देखा है. मेरा कोई राजनीतिक बैक ग्राउंड नहीं रहा है. भाजपा ने मुङो यहां तक पहुंचाया है. भाजपा एक महान पार्टी है. मैं अपनी पूरी क्षमता और दक्षता से काम करूंगा. मेहनत में कोई कोर-कसर नहीं छोडूंगा. कर्म में विश्वास करता हूं.

आप राज्य के पहले गैर आदिवासी सीएम हैं. सामाजिक ताना-बाना और राजनीतिक कारणों से चुनौतियां दोहरी हो जाती हैं?

मैं कह रहा हूं कि चुनौतियों को अवसर में बदलने का माद्दा होना चाहिए. काम करते रहिए, सब ठीक हो जायेगा. लोगों को साथ लेकर चलना है. टीम वर्क में काम होगा. खुद मैं पूरे तन-मन से झारखंड को गढ़ने के लिए काम करूंगा. आदिवासी-गैर आदिवासी की बात गलत है. इस तरह की फीलिंग झारखंड में कहीं नहीं है. लोग जाति के संकीर्ण दायरे से बाहर निकलना चाहते हैं. लोग विकास के भूखे हैं. लोगों को रोजगार चाहिए, सड़क-बिजली चाहिए. स्वास्थ्य और शिक्षा चाहिए. आदिवासी-गैर आदिवासी की बात करने वाले वोट बैंक की राजनीति करते हैं. इस तरह की राजनीतिक हवा बना कर किसी को कोई लाभ नहीं मिलेगा. भाजपा समाज को बांटने नहीं जोड़ने का काम करती है. इस राज्य में आदिवासी के नाम पर केवल राजनीति होती रही. दारू -हंड़िया पिला कर आदिवासियों की नस्ल खत्म की जा रही है. इनके विकास को रोका जा रहा है. आदिवासियों के मसीहा बनने वाले ही इनका शोषण करते रहे हैं. इस तरह की बात बेमानी है.

राज्य में नक्सलवाद बड़ी समस्या है. इससे आपको भी जूझना होगा. नक्सल समस्या से कैसे निपटेंगे?

नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में कभी ईमानदारी से प्रयास नहीं हुआ. खुले मन से और बेहतर शासन से ही नक्सलवाद खत्म होगा. इस समस्या की जड़ तक जाने की जरूरत है. विकास से ही नक्सलवाद खत्म होगा. गांव-गांव तक विकास पहुंचाने की जरूरत है. भटके हुए युवा यूं ही बंदूक उठा कर नहीं घूम रहे. ये विकास से कटे हुए लोग हैं. इनके सामने गरीबी है. इनको विकास की मुख्यधारा पर जोड़ने की जरूरत है. पश्चिमी सिंहभूम में तो बहुत लौह-अयस्क है. प्रचूर संपदा है.

विकास की बात हो रही है. आप भी शासन में रहे. राज्य में सैकड़ों एमओयू हुए, एक पावर प्लांट नहीं लगा. ऐसे माहौल को कैसे दुरुस्त करेंगे.

सही बात है. हम भी शासन में रहे. उपमुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्री पद मैंने खुद संभाला है. राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के कारण विकास बाधित रहा. मैंने महसूस किया है कि कोई तंत्र स्वतंत्र हो कर काम नहीं कर पाया. सही दिशा में प्रयास नहीं हुआ. यह सही बात है कि झारखंड पावर हब बन सकता है. राज्य में 22 मेगावाट बिजली की जरूरत है. पिछली सरकार में जब मैं ऊर्जा मंत्री था, तो प्रयास किया था. 2640 मेगावाट बिजली उत्पादन राज्य में होता, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण कई काम पाइप लाइन में नहीं आ सके.

राज्य में जमीन अधिग्रहण बड़ी समस्या रही है. उद्योग नहीं लग सके, बड़े संस्थानों को जमीन नहीं मिली?

सही बात है. जमीन अधिग्रहण बड़ी समस्या है. मैं लैंड बैंक बना कर इस समस्या को दूर करने का प्रयास करूंगा. उद्योगों के विस्तार के लिए पर्याप्त जमीन मिलेगी. उद्योग धंधे के विस्तार के लिए व्यावहारिक नीति बनायी जायेगी. सभी को विश्वास में लेकर चलने की जरूरत है.

गर्वनेस के मामले में राज्य फेल रहा है. आप वित्त मंत्री भी रहे हैं, जानते ही हैं कि बजट का पैसा खर्च नहीं होता है?

सही है कि राज्य में बजट का पैसा नहीं खर्च हो पाता है. सरकार के विभागों के पास संसाधन की कमी है. सरकारी तंत्र की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. हर विभाग में आधारभूत संरचना की कमी है. पैसा रहने के बाद भी पर्याप्त मानव संसाधान के अभाव में विभाग पैसे नहीं खर्च पाते हैं. योजनाओं की सही मॉनिटरिंग नहीं होती. विभाग टाइम बांड काम करने में विफल रहे हैं. बिजली विभाग हो या स्वास्थ्य विभाग या शिक्षा विभाग, हर जगह काम करने वालों की कमी है. मैन पावर को दुरुस्त करने की जरूरत है. हम रोजगार सृजन करेंगे.

राज्य में ट्रांसफर-पोस्टिंग का उद्योग चलता रहा है. सरकार के काम में पारदर्शिता नहीं रही. इसे कैसे रोकेंगे?

मेरे शासनकाल में यह सब नहीं चलेगा. ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल नहीं होने देंगे. सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन पर ट्रांसफर-पोस्टिंग होगा. काम करने वाले अधिकारी हमारे शासन में तीन वर्ष से पहले नहीं हटाये जायेंगे. दिसंबर और जून में ट्रांसफर की परंपरा भाजपा के शासन में नहीं चलेगी. इसके साथ ही गलत अधिकारियों को बरदाश्त नहीं किया जायेगा. अधिकारियों को टाइम बांड में काम कर दिखाना होगा. आप देखियेगा मेरे शासन में काम नहीं करने वालों पर कैसे एक्शन होता है.

भ्रष्टाचार से राज्य त्रस्त रहा है. कई पूर्व मंत्री-अफसर आज भी जांच के घेरे में हैं?

भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या रही है. भ्रष्टाचार राज्य के लिए गंभीर बीमारी है. राज्य को इस त्रसदी से बाहर निकालना है. इस महामारी से झारखंड को निजात दिलायी जायेगी. भाजपा के शासन में पूरी पारदर्शिता होगी. प्रशासन की जवाबदेही तय की जायेगी. अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा होगी. मेरा मानना है कि मुख्यमंत्री और मंत्री के कामकाज की भी समीक्षा होनी चाहिए.

भ्रष्टाचार के किस्से पर विराम लगे, इसके लिए कानून भी बनायेंगे?

भ्रष्टाचार के खिलाफ जमीनी स्तर पर काम होगा. पहले तो जो कानून है, उसका सही तरीके अनुपालन हो. शासन का भय रहना चाहिए. मीडिया में दिखावे के लिए काम नहीं होगा. पॉलिसी स्तर पर काम में तेजी लाया जायेगा. भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जो भी उपाय करने पड़े, मैं करूंगा. राज्य को लूटने की खुली छूट किसी को नहीं दी जा सकती है.

राज्य में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसनेवाली संस्थाएं कारगर नहीं है. निगरानी को दुरुस्त करने की सोच रहे हैं?

सरकार की सभी संस्थाओं में मैन पावर का अभाव है. निगरानी के पास भी जरूरी संसाधन नहीं है. यहां भी मैन पावर की कमी है. मेरे शासन में कहीं कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होगा. सारी संस्थाएं स्वतंत्र हो कर काम कर सकती है. यही नहीं, लोकायुक्त को सशक्त बनाया जायेगा.

स्थानीयता का सवाल राज्य में ज्वलंत मुद्दा रहा है. आपकी सरकार क्या इसे सुलझायेगी?

स्थानीयता के नाम पर राज्य में राजनीति हुई है. स्थानीय लोगों को यह सरकार हक देगी. नियोजन नीति बनायी जायेगी. हम स्थानीयता के सवाल को सुलझा लेंगे. पूर्व की सरकार ने इस दिशा में काम किया है. स्थानीयता को लेकर कई राज्योंे के नियम-नीति का अध्ययन हुआ है. हम इसका सर्वग्राह्य हल निकालेंगे. स्थानीयता के मामले में यह सरकार सारी राजनीति खत्म करेगी.

आदिवासी जमीन की लूट होती रही है. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद सीएनटी-एसपीटी एक्ट को खत्म करने और जारी रखने को लेकर भ्रम की स्थिति है. आप क्या सोचते हैं?

मैं तो कहता हूं कि आदिवासी के नाम पर अब तक केवल राजनीति होती रही है. इनकी चिंता किसी को नहीं है. आदिवासी जमीन पर लूट की बात बार-बार होती है. आदिवासियों को उजाड़ने का काम किसने किया है, इस पर विचार करने की जरूरत है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में कोई छोड़छाड़ नहीं होगा. आदिवासी हित के साथ हम किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं. आदिवासियों के अस्तित्व-अस्मिता से खिलवाड़ की इजाजत किसी को नहीं मिलेगी. मैं साफ करना चाहता हूं कि सरकार आदिवासी कल्याण की योजनाओं को धरातल पर उतारने में कोताही करने वालों को बरदाश्त नहीं किया जायेगा.

आदिवासी कल्याण की कोई खास योजना?

आदिवासी कल्याण के 150 करोड़ पड़े हैं. मेरे शासन में यह सब नहीं चलेगा. आदिवासी के लिए काम होता, तो ये पैसे पड़े नहीं होते. सरकार का काम शुरू होने दीजिए, फिर देखियेगा कि हम किस तरह से राज्य में कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाते हैं. टीएसी की बैठक समयबद्ध होगी. टीएसी का दायरा बढ़ाया जायेगा. टीएसी में आदिवासी समाज के बुद्धिजीवी शामिल किये जायेंगे.

सरकार सचिवालय से बाहर निकलेगी. विकास योजनाएं धरातल तक पहुंचे इसके लिए कोई कारगर या ठोस नीति?

सरकार पांच वर्ष का रोड मैप तैयार करेगी. हर विभाग के लिए टास्क होगा. अभी कोई बड़े-बड़े वादे नहीं करना चाहता हूं. मैं वादों पर नहीं, काम पर विश्वास करता हूं. सब्र कीजिए. कानून व्यवस्था ठीक करना मेरी पहली प्राथमिकता है. मैं टीम वर्क पर काम करूंगा. एक-एक विधायक, जनप्रतिनिधियों से बात करूंगा. विधायकों से राय ली जायेगी. विकास को लेकर हर वर्ग, हर संस्था मिल कर काम करेंगे. सब कुछ सरकार के भरोसे नहीं होगा. सरकार में सबकी सहभागिता होगी.

आपकी पार्टी बहुमत के आंकड़े से थोड़े से अंतर से पीछे छूट गयी. आप दूसरी पार्टी के सहयोग से सरकार चलायेंगे. राजनीतिक अस्थिरता का भय अब भी देखते या नहीं?

आजसू के साथ हमारा प्री-पोल एलायंस है. गंठबंधन को बहुमत मिला है. यह सरकार पूरे पांच वर्ष चलेगी. राज्य में सुशासन के लिए सहयोगी दल मिल कर काम करेंगे.

विश्वास मत में आप दूसरे दलों या विधायकों से भी समर्थन मांगेंगे?

राज्य की स्थिरता, विकास, सुशासन के लिए जो भी हमारे साथ आयेंगे, उनका स्वागत होगा. हम मिल कर राज्य का विकास करना चाहते हैं.

क्या-क्या बोले

काजल की कोठरी में भी बेदाग हूं.

एक समय आया था. राजनीति से खीज हुई थी. धैर्य भी खो रहा था, लेकिन वैचारिक रूप से पार्टी ने मजबूत बनाया है.

मैंने राजनीतिक जीवन में संघर्ष किया है. चुनौतियों से बेचैन नहीं होता और न ही घबराता हूं. चुनौतियों को अवसर के रूप में देखता हूं.

हम भी शासन में रहे. उपमुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्री पद मैंने खुद संभाला है. राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के कारण विकास बाधित रहा. मैंने महसूस किया है कि कोई तंत्र स्वतंत्र हो कर काम नहीं कर पाया.

नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में कभी ईमानदारी से प्रयास नहीं हुआ. खुले मन से और बेहतर शासन से ही नक्सलवाद खत्म होगा. इस समस्या की जड़ तक जाने की जरूरत है. विकास से ही नक्सलवाद खत्म होगा. गांव-गांव तक विकास पहुंचाने की जरूरत है. भटके हुए युवा यूं ही बंदूक उठा कर नहीं घूम रहे. ये विकास से कटे हुए लोग हैं. इनके सामने गरीबी है. इनको विकास की मुख्यधारा पर जोड़ने की जरूरत है.

स्थानीयता के नाम पर राज्य में राजनीति हुई है. स्थानीय लोगों को यह सरकार हक देगी. नियोजन नीति बनायी जायेगी. हम स्थानीयता के सवाल को सुलझा लेंगे.

मेरे शासन में कहीं कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होगा. सारी संस्थाएं स्वतंत्र हो कर काम कर सकती है. यही नहीं, लोकायुक्त को भी सशक्त बनाया जायेगा.

भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या रही है. भ्रष्टाचार राज्य के लिए गंभीर बीमारी है. राज्य को इस त्रसदी से बाहर निकालना है. इस महामारी से झारखंड को निजात दिलाया जायेगा.

आदिवासी जमीन पर लूट की बात बार-बार होती है. आदिवासियों को उजाड़ने का काम किसने किया है, इस पर विचार करने की जरूरत है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में कोई छोड़छाड़ नहीं होगा. आदिवासी हित के साथ हम किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं. आदिवासियों के अस्तित्व-अस्मिता से खिलवाड़ की इजाजत किसी को नहीं मिलेगी.

आदिवासी कल्याण के करोड़ों रुपये पड़े हैं. मेरे शासन में यह सब नहीं चलेगा. आदिवासी के लिए काम होता, तो ये पैसे पड़े नहीं होते. सरकार का काम शुरू होने दीजिए, फिर देखियेगा कि हम किस तरह से राज्य में कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाते हैं. टीएसी का दायरा बढ़ाया जायेगा.

सरकार पांच वर्ष का रोड मैप तैयार करेगी. हर विभाग के लिए टास्क होगा. अभी कोई बड़े-बड़े वादे नहीं करना चाहता हूं. मैं वादों पर नहीं, काम पर विश्वास करता हूं.

सरकार के विभागों के पास संसाधन की कमी है. सरकारी तंत्र की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. हर विभाग में आधारभूत संरचना की कमी है. पैसा रहने के बाद भी पर्याप्त मानव संसाधान के अभाव में विभाग पैसे नहीं खर्च पाते हैं.

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