रांची: राज्य में विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया. इस बार एक भी घटना नहीं हुई. छिटपुट मारपीट की एकाध घटना को छोड़ दें, तो कोई बड़ी घटना नहीं हुई. पिछली बार की तरह इस बार भी पांच चरण में विधानसभा का चुनाव हुआ. छह माह पहले ही लोकसभा चुनाव हुआ था.
उसमें अंतिम चरण में शिकारीपाड़ा में एक नक्सली घटना हुई थी. इससे सीख लेते हुए चुनाव आयोग ने रणनीति तैयार की. अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश का अक्षरश: पालन करें. सुरक्षा मामलों पर विशेष सतर्कता बरती गयी. कई स्थानों पर हेलीकॉप्टर से मतदानकर्मियों को ले जाया गया. वहां से कलस्टर प्वाइंट पर लाया गया. कलस्टर प्वाइंट से दूसरे दिन मूव कराया गया. इस कारण एक भी नक्सली घटना नहीं घटी.
हटाये गये आरोपी अधिकारी
चुनाव प्रक्रिया के दौरान कई अधिकारियों पर आरोप भी लगाये गये. चुनाव आयोग ने 24 घंटे के अंदर आरोपों की पुष्टि करते हुए अधिकारियों को पद से भी हटा दिया. इसमें गढ़वा और लोहरदगा के उपायुक्त भी थे. इनके स्थान पर नये अधिकारियों का पदस्थापन था. सिमडेगा के एसडीओ को भी चुनाव के दौरान लगे आरोप के कारण हटाया गया.
11 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ
पिछले विधानसभा चुनाव (2009) की तुलना में इस बार करीब 11 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ. मतदान प्रतिशत बढ़ाने और एक मजबूत सरकार चुनने के लिए चुनाव आयोग ने कई प्रयास किये. जिला स्तर पर कई आयोजन किया गया. जिला अधिकारियों को मतदान का संदेश एक-एक घर तक पहुंचाने का निर्देश दिया गया. मतदाता सूची दुरुस्त करने की दिशा में चुनाव पूर्व ही कई काम किये गये. इसका असर मतदान में दिखा. प्रभात खबर सहित कई संस्थाओं ने मतदाताओं को घरों से निकाल कर एक स्थायी और मजबूत सरकार चुनने के लिए प्रेरित किया. इसका भी असर दिखा.