रांचीः राज्यपाल के पूर्व सलाहकार आनंद शंकर ने कहा है कि ब्यूरोक्रेसी में अनुशासन की कमी है. इस पर सख्ती से शासन की जरूरत है. वह प्रभात खबर से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा: मेरा 24 दिनों का कार्यकाल अच्छा रहा. 35 वर्ष की नौकरी से मिले अनुभव को हमने बांटा.
अनुशासन के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक विभाग से तबादले का प्रस्ताव आया. प्रस्ताव में लंबे समय से एक ही जगह जमे पदाधिकारियों का नाम नहीं था. जांच में यह बात सामने आने के बाद सूची दोबारा बनाने का आदेश दिया. वहीं स्थापना समिति के कागजात तैयार करनेवाले सहायकों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया.
सलाहकार ने कहा : जेल के भीतर वहां के अधिकारियों की मदद से ही फोन पहुंचते हैं. पांच जेल अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया गया है. यह सही है कि जेल में अधिकारियों–कर्मचारियों की कमी है, लेकिन इस बहाने कैदियों को मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती. उन्होंने कहा: रोड और बिल्डिंग विभाग के प्राक्कलन बनाने में गड़बड़ी की जा रही है.
प्राक्कलन की जांच का आदेश दिया गया है. स्वास्थ्य विभाग में तबादले की संचिका क्यों लौटायी, के सवाल पर पूर्व सलाहकार ने कहा कि जिलों के सीनियर डॉक्टर सिविल सजर्न नहीं बनना चाहते. उन्होंने कहा विभागों के अधिकारी सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. श्रम विभाग को ही लीजिये.
वहां के कारखाना निरीक्षक किसी फैक्टरी में दुर्घटना होने पर न फोटो खींचते हैं और न ही घटनास्थल की मानचित्र बनाते हैं. उन पर कार्रवाई का आदेश दिया गया है. पुलिस विभाग में प्रतिबद्धता लाने के लिए शपथ दिलायी. नक्सल से निपटने की नीति के सवाल पर आनंद शंकर ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम की नीति सबसे सही है. नक्सल इलाके में घुसें, इलाके को क्लीयर करें.