रांची : झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व में बनी गंठबंधन सरकार में आज हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.
राज्य में बीते छह महीने से लागू राष्ट्रपति शासन को हटाये जाने के बाद राज्यपाल सैयद अहमद ने झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के बेटे 37 वर्षीय सोरेन को आज सुबह पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी.
राजभवन परिसर में स्थित बिरसा मंडप में आयोजित इस शपथ ग्रहण समारोह में राज्य में कांग्रेस विधायक दल के नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह और राजद विधायक दल की नेता अन्नपूर्णा देवी ने भी बतौर मंत्री शपथ ली.
कुल 82 सदस्यीय विधानसभा में 43 विधायकों के समर्थन की सूची राज्यपाल को दे चुके सोरेन सदन में शक्ति परीक्षण के बाद ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे.
पृथक झारखंड बनने के बाद 13 साल से भी कम समय में नौवें मंत्रिमंडल की अगुवाई कर रहे हेमंत पांचवें आदिवासी मुख्यमंत्री हैं. 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आये झारखंड की कमान तब से चार आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी (एक बार), अर्जुन मुंडा (तीन बार), शिबू सोरेन (तीन बार) और मधु कोड़ा (एक बार) संभाल चुके हैं.
हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन भी मौजूद थे.
इससे पहले राज भवन को राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति की सहमति के बारे में आधिकारिक पत्र मिला. जिसके बाद राज्यपाल ने हेमंत सोरेन को शपथ ग्रहण समारोह के लिए कल देर रात आमंत्रित किया.
झामुमो विधायक दल के नेता सोरेन ने कांग्रेस, राजद, छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने के लिए 9 जुलाई को दावा पेश किया था.
झामुमो ने अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में भाजपा नीत सरकार से 8 जनवरी को समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद 18 जनवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था. राज्य में बीते छह महीने से लागू राष्ट्रपति शासन की अवधि 18 जुलाई को खत्म हो रही थी.
वर्ष 2009 के नवंबर-दिसंबर महीने में हुए विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश के बाद उसी सदन में तीसरी बार सरकार का गठन हुआ है.
इससे पहले, वर्ष 2010 में लोकसभा में आये एक अविश्वास प्रस्ताव के दौरान झामुमो प्रमुख ने संप्रग के पक्ष में मतदान किया था, जिसके बाद उसी वर्ष 24 मई को शिबू सोरेन नीत गंठबंधन से भाजपा ने खुद को अलग कर लिया था. हालांकि इसके बाद दोनों दलों में सत्ता बंटवारे को लेकर समझौता हो गया और 11 सितंबर, 2010 को झामुमो ने भाजपा को समर्थन दे दिया.
उन दिनों राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन इस समर्थन के बाद समाप्त हो गया था.राजभवन में शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद राज्य के मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा, राज्य के विकास में हम अपने सारे प्रयास लगायेंगे. बतौर मंत्री आज शपथ ग्रहण करने वाली राजद नेता अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि गंठबंधन सरकार सड़क, बिजली, पेयजल और सिंचाई जैसी लोगों की बुनियादी जरुरतों को पूरा करेगी.
शपथ ग्रहण समारोह में यहां झामुमो प्रमुख और राज्य पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, उनकी पत्नी रुपी और पार्टी विधायकों सहित विभिन्न पार्टियों के नेता मौजूद थे.
शिबू सोरेन के स्वाभाविक उत्तराधिकारी माने जाने वाले उनके बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन की वर्ष 2009 में मृत्यु होने के बाद उनके छोटा पुत्र हेमंत राज्य की राजनीति के केंद्र में आ गये.
हेमंत तब तक राजनीति से दूर ही रहा करते थे और वर्ष 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में दुमका सीट पर तत्कालीन झामुमो नेता स्टीफन मरांडी, जो अब कांग्रेस में हैं, के हाथों मात खा चुके थे. हालांकि दिसंबर 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत ने यह सीट जीत ली.
इससे पहले वह 24 जून, 2009 से चार जनवरी 2010 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे.झारखंड में 11 सितंबर, 2010 को जब अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में भाजपा, झामुमो, जदयू और आजसू की गठबंधन सरकार बनी, तब 37 वर्षीय सोरेन को उपमुख्यमंत्री का ओहदा मिला और उन्होंने राज्य के वित्त मंत्री, नगर विकास मंत्री, आवास, पेयजल, नागर विमानन तथा खान विभाग की भी जिम्मेदारी संभाली.
हेमंत सोरेन के परिवार में उनकी पत्नी कल्पना, दो बेटों के अलावा छोटा भाई बसंत और बहन अंजलि हैं.
परिचय
10 अगस्त 1975 को रामगढ़ के दूरस्थ गांव नेमरा में शिबू सोरेन के दूसरे पुत्र हेमंत सोरेन का जन्म हुआ. उस समय पिता शिबू और मां रूपी सोरेन ने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक दिन उनका बच्चा बड़ा होकर सत्ता के शिखर पर पहुंचेगा.
उस समय तो यह भी पता नहीं था कि बिहार से अलग होकर झारखंड को राज्य का दरजा मिल सकता है. उस समय शिबू सोरेन महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में अपनी पहचान बना चुके थे. कई बार उन्हें छिप कर रहना पड़ता था. जब हेमंत का जन्म हुआ, उस समय भी शिबू घर पर नहीं थे. कहा जाता है कि पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं. हेमंत बचपन में खेलकूद में आगे रहते थे. वह अपने ग्रुप के बच्चों को लीड करते थे. लीडरशिप का गुण बचपन में ही दिखाई देने लगा था.दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जगह लेने जा रहे हेमंत सोरेन नयी पीढ़ी के नेता बन गये हैं
बोकारो सेंट्रल स्कूल से आरंभिक शिक्षा
हेमंत सोरेन की आरंभिक शिक्षा बोकारो सेक्टर-4 स्थित सेंट्रल स्कूल में हुई. स्कूल में भी वह अपने ग्रुप का वह लीडर होते थे. बोकारो की सड़कों पर साइकिल की सवारी, इस सेक्टर से उस सेक्टर का चक्कर काटते उनको देखा जाता था.
सेक्टर छह स्थित शॉपिंग सेंटर के नुक्कड़ में हेमंत का दोस्तों के साथ मजमा लगता था. उनके साथियों को आज भी यह बात याद है. कई साथी आज बोकारो में नहीं हैं, पर जब भी आते हैं, हेमंत से मिलना नहीं भूलते. हेमंत भी यदि बोकारो में रहते हैं तो एक गेट टू गेदर हो हो जाता है.
परिचय
जन्मतिथि: 10 अगस्त 1975
जन्मस्थान : नेमरा(रामगढ़)
पिता का नाम : शिबू सोरेन
माता का नाम : रूपी सोरेन
पत्नी का नाम : कल्पना सोरेन
संतान: दो पुत्र नितिल(4) व साहिल(10 माह)
विवाह की तिथि : 7.2.2006
पारिवारिक पृष्ठभूमि : राजनीतिक
शैक्षणिक पृष्ठभूमि :
आरंभिक शिक्षा : बोकारो सेक्टर-4 स्थित सेंट्रल स्कूल से
मैट्रिक : एमजी हाइस्कूल पटना (1990)
आइएससी : 1994(पटना विश्वविद्यालय)
इंजीनियरिंग : बीआइटी मेसरा में मेकेनिकल में दाखिला
राजनीति में कदम : 2003 में झारखंड छात्र मोरचा के अध्यक्ष बने.
राज्यसभा सदस्य : 24 जून 2009 से चार जनवरी 2010 तक
विधायक बने: 23 दिसंबर 2009(दुमका)
किस पद पर रहे : उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री, नगर विकास, आवास, पेयजल, नागर विमानन, खान.
सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधि : ऑल इंडिया संताली फिल्म एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक हैं. तीरंदाजी, बास्केटबॉल और एथलेटिक्स को बढ़ावा दिये.
पसंदीदा लेखक : प्रेमचंद
आदर्श : शिबू सोरेन
पसंदीदा खेल : बैडमिंटन और फुटबॉल
रुचि : फोटोग्राफी, पेंटिंग्स और ड्राइविंग
विशेष रुचि : सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी लाना, भ्रष्टाचार और लालफीताशाही को समाप्त करना. आदिवासियों के विकास के लिए कार्य करना.
विदेश भ्रमण: स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग
खाली समय : अध्ययन, टहलना, नेट सर्फिग और फिल्म देखना