रांची: स्कूलों में नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की होड़ लग जाती है, जबकि अन्य दिनों इसे लेकर कोई जागरूकता नहीं दिखती. जहां जनवरी से सिंतबर तक यानी साल के नौ महीने 12 हजार जन्म प्रमाण पत्र बने,वहीं अक्तूबर और नवंबर इन दो महीनों में 4500 से अधिक सर्टिफिकेट जारी किये गये हैं. यानी इन दो महीनों में इसकी दर दोगुनी से भी ज्यादा बढ़ी है.
पिछले दो महीनों में जारी जन्म प्रमाण पत्रों में 4000 प्रमाण पत्र ऐसे थे जिनमें बच्चे की उम्र साढ़े तीन से साढ़े चार साल तक है. बाकी के 500 बच्चों का प्रमाण पत्र एक माह के अंदर अभिभावकों ने बनाया है. देर से प्रमाण पत्र बनाने का एक कारण यह भी है कि विभिन्न स्कूलों में एडमिशन के समय बच्चे की उम्र देखी जाती है. इसलिए अभिभावक इस समय अपने हिसाब से बच्चे की उम्र डाल कर प्रमाण पत्र बनाते हैं. निगम से प्राप्त आंकड़ें के अनुसार आम दिनों में प्रज्ञा केंद्र में प्रतिदिन जन्म के 40 आवेदन आते हैं, वहीं एडमिशन के इस मौसम में प्रतिदिन आवेदनों की संख्या 160-180 तक पहुंच जाती है.
बिचौलियों की हो गयी चांदी
जन्म प्रमाण पत्र बनाने की इस जटिल प्रक्रिया का फायदा बिचौलियों को मिलता है. नियमत: एक प्रमाण पत्र को बनाने में 36 रुपये लगते हैं, पर बिचौलिये इसके लिए 800 से 1000 रुपये तक वसूलते हैं. अभिभावक भी परेशानी से बचने और समय बचाने के लिए बिचौलियों का ही सहारा लेते हैं. जन्म प्रमाण पत्र बनाने की इस प्रक्रिया में शामिल अधिकतर बिचौलिये प्रज्ञा केंद्र के आसपास ही मंडराते रहते हैं. कई जगह तो प्रज्ञा केंद्र में काम करने वाले कर्मचारी ही बिचौलिये का भी काम करने लगे हैं.
जन्म के तुरंत बाद करें आवेदन, नहीं होगी समस्या
नगर निगम के स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ अजय कुमार मांझी कहते हैं कि राजधानी के लोगों में आज भी जागरूकता की कमी है. अगर हम बच्चे के जन्म के एक माह के अंदर आवेदन कर देते हैं तो हम उसका जन्म प्रमाण पत्र हाथों हाथ जारी कर देते हैं. परंतु अभिभावक भी उसी समय आवेदन करते हैं जब बच्चे को कहीं एडमिशन कराना होता है. देर होने के कारण गवाही सहित अन्य कई कागजी प्रक्रिया में विलंब होता है. इसलिए बच्चे के जन्म के एक माह के अंदर ही आवेदन जमा करें.