रांची: चारा घोटाले के आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की ओर से दायर उस याचिका पर हाइकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसमें उन्होंने सीबीआइ जज की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए मामले को दूसरे कोर्ट में स्थानांतरित करने का आग्रह किया है.
इस मामले में एक जुलाई को फैसला सुनाया जायेगा. झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को लालू प्रसाद की याचिका पर सुनवाई हुई. श्री प्रसाद की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने पक्ष रखा. सीबीआइ की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया मोख्तार खान ने बहस की. दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस आरआर प्रसाद की अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. लालू प्रसाद की ओर से दायर याचिका में सीबीआइ जज पीके सिंह की निष्पक्षता पर सवाल उठाया गया है.
साथ में चारा घोटाले की कांड संख्या आरसी 20 ए/1996 मामले को दूसरे न्यायालय में स्थानांतरित करने का आग्रह किया है.
सीबीआइ की वजह से लंबा खींचा मामला :जेठमलानी
लालू प्रसाद की ओर से बहस करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि चारा घोटाले के मामले में 24 जून 1997 को मामला दर्ज हुआ. तीन साल बाद सात अप्रैल 2000 को चाजर्शीट दायर किया गया. इस मामले में 12 साल से ट्रायल चल रहा है.
इस बीच चार बार सीबीआइ जज भी बदले गये. मामले को लंबा खींचने में सीबीआइ का हाथ है न कि लालू प्रसाद का. श्री जेठमलानी ने कहा कि सीबीआइ जज पीके सिंह का जदयू नेता के साथ नजदीकी और सामाजिक संबंध है. लालू प्रसाद के खिलाफ दायर आय से अधिक संपत्ति मामले में पीके शाही ने ललन सिंह की ओर से पक्ष रखा था. याचिकाकर्ता (लालू प्रसाद) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वहीं पीके शाही बिहार में शिक्षा मंत्री के पद पर कार्यरत हैं. हाल ही में श्री शाही महाराजगंज लोकसभा चुनाव में राजद के उम्मीदवार प्रभुनाथ सिंह से पराजित हुए.
राजनीतिक बदला लेने के लिए पीके शाही इस मामले में चाहते हैं कि याचिकाकर्ता (लालू प्रसाद) को सजा हो जाये. इसी वजह से सीबीआइ जज पीके सिंह याचिकाकर्ता को मौका दिये बिना सख्त आदेश पारित करना चाहते हैं. संविधान में भी अभियुक्त को पक्ष रखने के लिए समय देने का प्रावधान है. इसके बावजूद लालू प्रसाद के वकील को आठ दिनों में सिर्फ आठ घंटे का समय मिला. अदालत में पीके शाही और सीबीआइ जज के संबंध को साबित करने के लिए वोटर लिस्ट की प्रति और इन दोनों के रिश्तेदार मीनू देवी और जैनेंद्र शाही के शादी समारोह का फोटो भी दिखाया गया.
लालू को मिला है पर्याप्त समय : सीबीआइ
सीबीआइ की ओर से पक्ष रखते हुए मोख्तार खान कहा कि मामले के विलंब होने में सीबीआइ का कोई हाथ नहीं है. जज नहीं रहने, गवाही और अन्य मामलों की सुनवाई के कारण ट्रायल में विलंब हुआ. आरसी 20 ए /96 मामले में लालू प्रसाद को पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया है. इस मामले में कुल 45 अभियुक्त हैं. 15 मई 2013 से ही लालू प्रसाद की ओर से बहस की जा रही है. इस दौरान लालू की ओर से पक्ष नहीं रखने के कारण कई दिन कोर्ट खाली बैठा रहा. इस मामले में सीबीआइ कोर्ट ने फैसले के लिए 15 जुलाई की तिथि तय की है. कोर्ट ने कहा है कि इस अवधि में अगर लालू प्रसाद अपना पक्ष रखना चाहते हैं, तो वह लिखित दस्तावेज के माध्यम से अपनी बात रख सकते हैं. इस मामले में लालू प्रसाद को पर्याप्त समय दिया गया है. अलग से समय देने की आवश्यकता नहीं है.
हाइकोर्ट में आधे घंटे चली सुनवाई
लालू प्रसाद की ओर से दायर याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट में लगभग आधे घंटे तक सुनवाई हुई. सुनवाई 11.30 बजे शुरू होकर 12 बजे समाप्त हुई. इस दौरान लालू प्रसाद की ओर से लगभग 25 मिनट और सीबीआइ की ओर से पांच मिनट तक पक्ष रखा गया. सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में वकीलों की भीड़ लगी हुई थी. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी की बहस सुनने के लिए हाइकोर्ट के कई वकील उपस्थित थे.