रांची: पटमदा प्रखंड के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी पारसनाथ 30 मिनट में अपने दफ्तर से प्रोजेक्ट भवन, रांची (लगभग 160 किमी) पहुंच जाते थे. आधी रात को योजनाओं का निरीक्षण और क्षेत्र का दौरा करते थे. लॉगबुक के विश्लेषण से उनकी इस अनोखी रफ्तार और कारनामे का पता चलता है. जमशेदपुर निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष मित्तल ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत बीडीओ की गाड़ी के लॉग बुक का ब्योरा मांगा था. काफी कोशिश के बाद उन्हें लॉग बुक की फोटो कापी मिली. इसमें गाड़ी के इस्तेमाल और बीडीओ की यात्र का ब्योरा दर्ज है.
लॉगबुक से पता चलता है कि एक दिन वह दोपहर 12 बजे अपने कार्यालय से निकले. वह गोरडीह, रूपसान, चामीडीह, छोटाबांगुरदा होते हुए सुबह करीब चार बजे वापस लौटे. इस अवधि में उन्होंने योजनाओं का निरीक्षण किया. एक दिन तो वह 11.30 बजे रात को योजनाओं का निरीक्षण करने निकले.
वह गूगलडीह, हलुदबनी, कदमजोड़ा, छोटा सुसनी और बड़ा सुसनी होते हुए सुबह करीब चार बजे वापस लौटे. सिर्फ इतना ही नही,एक दिन आधी रात को वह उपायुक्त कार्यालय नरेगा से जुड़े रजिस्टर लाने चले गये. रजिस्टर लाने के लिए उन्होंने 76 किलोमीटर की दूरी तय की और सुबह पांच बजे वापस लौटे. उनकी गाड़ी के लॉगबुक में कई सड़कों की लंबाई ज्यादा लिखी हुई है. सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मिले लागबुक में बीडीओ के ऐसे अनेकों कारनामे दर्ज हैं. आरटीआइ कार्यकर्ता ने बीडीओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने 26 जून को राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा. इसमें अधिकारियों को प्रखंड कार्यालय के पास बने आवासों में ही रहने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. ताकि इस फर्जी खपत नहीं दिखायी जा सके.