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ट्राइक्लोजन से लिवर कैंसर का खतरा

एजेंसियां, वाशिंगटनवैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कॉस्मेटिक्स, हैंड वाश, साबुन, डिटर्जेंट्स, शैंपू और टूथपेस्ट में इस्तेमाल किया जाने वाला एक केमिकल ट्राइक्लोजन लिवर कैंसर को बढ़ावा देता है. सेन डिएगो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैरोलीना में किये गये एक अध्ययन के मुताबिक ट्राइक्लोजन नामक केमिकल से चूहों में लिवर कैंसर की ग्रोथ को बढ़ावा मिलता […]

एजेंसियां, वाशिंगटनवैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कॉस्मेटिक्स, हैंड वाश, साबुन, डिटर्जेंट्स, शैंपू और टूथपेस्ट में इस्तेमाल किया जाने वाला एक केमिकल ट्राइक्लोजन लिवर कैंसर को बढ़ावा देता है. सेन डिएगो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैरोलीना में किये गये एक अध्ययन के मुताबिक ट्राइक्लोजन नामक केमिकल से चूहों में लिवर कैंसर की ग्रोथ को बढ़ावा मिलता है.गौरतलब है कि बाथरूम और किचन प्रॉडक्ट्स में एंटी-बैक्टीरियल एजेंट के रूप में इस केमिकल को मिलाया जाता है. इस अध्ययन से पता चला कि जिन चूहों को छह महीने तक हर रोज तीन ग्राम ट्राइक्लोजन की खुराक दी गयी, उनके लिवर डैमेज हो गये और उनमें लिवर ट्यूमर उत्पन्न होने का खतरा पैदा हो गया.यह कहता है अध्ययनअध्ययनकर्ताओं का कहना है कि एक ग्राम टूथपेस्ट में करीब 0.03 प्रतिशत ट्राइक्लोजन होता है तथा चूहों के छह महीने इनसानों के 18 साल के बराबर होते हैं. प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा है कि चूहों में ट्राइक्लोजन और लिवर कैंसर के बीच जो लिंक देखा गया है, वह इनसानों के स्वास्थ्य के लिए भी प्रासंगिक है क्योंकि यह केमिकल इनसानों में भी इस तरह के परिवर्तन उत्पन्न कर सकता है. लेकिन दूसरे वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के नतीजों पर सावधानी बरतने को कहा है. उनका कहना है कि इस अध्ययन से ट्राइक्लोजन और लोगों के स्वास्थ्य बीच कोई सीधा संबंध साबित नहीं होता.

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