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महाराष्ट्र में दोस्त से दुश्मन बने दल केंद्र में रहेंगे साथ?

नयी दिल्ली. अगले सप्ताह से शुरू होनेवाले संसद के शीतकालीन सत्र पर सबकी निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि महाराष्ट्र में दोस्त से दुश्मन बने दल केंद्र में सहयोगी बने रहते हैं या नहीं? विचारधारा के आधार पर भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिव सेना महाराष्ट्र में विपक्षी दल की बेंचों पर बैठी है, […]

नयी दिल्ली. अगले सप्ताह से शुरू होनेवाले संसद के शीतकालीन सत्र पर सबकी निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि महाराष्ट्र में दोस्त से दुश्मन बने दल केंद्र में सहयोगी बने रहते हैं या नहीं? विचारधारा के आधार पर भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिव सेना महाराष्ट्र में विपक्षी दल की बेंचों पर बैठी है, जबकि उसका उम्मीदवार नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल का सदस्य है. यहां दिलचस्प बात यह है कि संसद के सत्र से पहले शरद पवार की एनसीपी महाराष्ट्र में भाजपा के नये सहयोगी के रूप में सामने आयी है, दिल्ली में यह कांग्रेस के नेतृत्ववाले यूपीए का दूसरा सबसे बड़ा घटक है. शिव सेना में सत्ता हासिल करने या विपक्ष में बैठने के मुद्दे पर खींचतान जारी प्रतीत होती है. पार्टी का एक धड़ा अब भी चाहता है कि शिव सेना भाजपा के साथ सत्ता मंे भागीदार बने, तो दूसरा धड़ा चाहता है कि पार्टी विपक्ष की भूमिका निभाए.

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