भारतीय रिजर्व बैंक 35,600 करोड़ की सामूहिक पूंजीवाले 45 सहकारी बैंकों पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकती है. एक अंगरेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, 30 जून तक न्यूनतम पूंजी और आरक्षी निधि के मानदंडों को पूरा नहीं करने पर केंद्रीय बैंक इन बैंकों के जमा स्वीकार करने पर भी पाबंदी लगा सकता है.
ये सहकारी बैंक देश के विभिन्न राज्यों में फैले हैं और कुछ वर्षो से बैंकिंग कारोबार में हैं. हजारों जमाकर्तावाले इन बैंकों पर पूंजी का गलत उपयोग करने और कई अन्य मामलों में कु-प्रबंधन के भी आरोप हैं. उत्तर प्रदेश के बैंकों के कुछ मामले इलाहाबाद हाइ कोर्ट में भी चल रहे हैं, जबकि महाराष्ट्र सरकार ने अपने यहां के बैंकों को मदद पहुंचाने की इच्छा जतायी है.
इनमें से तीन बैंक राज्य स्तरीय सहकारी बैंक हैं. शेष जिला स्तर के हैं. इन सहकारी बैंकों को बैंकिंग नियामक अनुबंध के मुताबिक चार जून तक चार प्रतिशत की पूंजी उपयुक्तता अनुपात (सीएआर) हासिल करना था. साथ ही पूंजी आरक्षी निधि अनुपात व वैधानिक तरलता अनुपात के मानदंडों को भी पूरा करना था. सीआरआर की गणना बैंक की साख के मूल्य के आधार पर की जाती है.
सीआरआर वह राशि है, जो बैंक आरबीआइ के पास जमा रखते हैं. एसएलआर बैंकों द्वारा जमा की गयी वह राशि है, जो बैंक आरबीआइ के पास सरकारी बांड के रूप में जमा रखते हैं. इस समय कुल जमा का 23 प्रतिशत हिस्सा बैंकों को एसएलआर के रूप में केंद्रीय बैंक (आरबीआइ) के पास जमा रखना है.