आयातित शस्त्रों पर निर्भरता कम करनी होगीत्रभविष्य में रक्षा संबंधी जटिल मुद्दों और पर्यावरण की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना होगाएजेंसियां, नयी दिल्लीराष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि भविष्य की रक्षा संबंधी जटिलताओं को देखते हुए देश को आयातित शस्त्रों पर निर्भरता कम करनी होगी. खुद को आधुनिक एवं परिष्कृत शस्त्रों से लैस करना होगा. उन्होंने राष्ट्रपति भवन में नेशनल डिफेंस कॉलेज के 54वें बैच के अधिकारियों से मुलाकात के समय यह बात कही. मुखर्जी ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 से 49 प्रतिशत करने का उल्लेख करते हुए ऐसी रणनीति अपनाने को कहा, जो स्वदेशी सैन्य औद्योगिक परिसर विकसित करने पर केंद्रित हो.उन्होंने किसी देश का नाम लिये बिना कहा कि देश कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. इनमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का उभार शामिल है. यह समस्या इसलिए और बढ़ गयी है, क्योंकि आतंकवाद में लिप्त सरकार इतर लोगों (नॉन स्टेट एक्टर) को अक्सर संबंधित देश ही प्रायोजित करता है और उन्हें वित्तीय सहायता मुहैया कराता है. राष्ट्रपति के अनुसार, इस समस्या से उत्पन्न चुनौतियों का सामना केवल हमारे सशस्त्र बल ही नहीं, अन्य शांतिप्रिय देश भी कर रहे हैं.राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे में स्पष्ट है कि भविष्य में रक्षा संबंधी जटिल मुद्दों और पर्यावरण की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना होगा. इस बात के लिए सैन्य नेतृत्व, पुलिस अधिकारियों और गैर-सैनिक सरकारी कर्मचारियों तथा सुरक्षा बलों को भविष्य में तैयार करना होगा. राष्ट्रपति ने कहा कि किसी देश की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किस तरह किया जा रहा है.
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एनडीसी के 54वें बैच के अधिकारियों से मिले राष्ट्रपति, कहा
आयातित शस्त्रों पर निर्भरता कम करनी होगीत्रभविष्य में रक्षा संबंधी जटिल मुद्दों और पर्यावरण की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना होगाएजेंसियां, नयी दिल्लीराष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि भविष्य की रक्षा संबंधी जटिलताओं को देखते हुए देश को आयातित शस्त्रों पर निर्भरता कम करनी होगी. खुद को आधुनिक एवं परिष्कृत शस्त्रों से लैस […]
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