रांची: दारोगा नियुक्ति में हुई गड़बड़ी की जांच चल रही है. एसपी रैंक के तीन अफसर जांच कर रहे हैं. गड़बड़ियों को लेकर अदालत में अब तक 70 से अधिक मामले दायर हो चुके हैं. जानकारी के मुताबिक दारोगा नियुक्ति के दौरान सरकार के आदेश के खिलाफ जाकर पुलिस मुख्यालय ने मेरिट लिस्ट बनाने का काम निजी एजेंसी को सौंपा.
दारोगा नियुक्ति में लिखित परीक्षा आयोजित करना एक चुनौती थी. उस वक्त जेपीएससी के कारनामे सामने आ चुके थे, इसलिए सरकार ने आदेश जारी किया कि लिखित परीक्षा के लिए बाहरी एजेंसी का सहयोग ले सकते हैं. मेरिट ट्रैक प्रालि नामक दिल्ली की कंपनी का चयन किया गया. इस एजेंसी को सिर्फ परीक्षा का आयोजन करना था न कि मेरिट लिस्ट बनाना. सरकार का आदेश था कि एजेंसी शारीरिक परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की सूची के आधार पर लिखित परीक्षा का आयोजन करेगी.
परीक्षा को सफल बनाने में पुलिस विभाग मदद करेगा. एजेंसी लिखित परीक्षा का परिणाम पुलिस नियुक्ति समिति को दे देगी. नियुक्ति समिति प्राप्तांक के आधार पर 1:3 (एक पद के विरुद्ध तीन उम्मीदवार) अभ्यर्थी को साक्षात्कार के लिए कॉल करेगी. आदेश के मुताबिक एजेंसी ने लिखित परीक्षा आयोजित की. पांच बोर्ड ने सफल अभ्यर्थियों का इंटरव्यू लिया, जिसके बाद समिति ने मैरिट लिस्ट बनाने के लिए इंटरव्यू में आये मार्क्स और अभ्यर्थियों की सूची एजेंसी को भेज दी.
यहीं से गड़बड़ी शुरू हो गयी. सरकार का आदेश था कि मैरिट लिस्ट नियुक्ति समिति बनायेगी. नियुक्ति समिति ने एजेंसी द्वारा तैयार मैरिट लिस्ट का सत्यापन तक नहीं किया, क्योंकि लिखित परीक्षा से संबंधित सारे कागजात कभी नियुक्ति समिति के पास आये ही नहीं.