रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने हरमू नदी की साफ-सफाई व अतिक्रमण मुक्त करने के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कड़ी नाराजगी जाहिर की. चीफ जस्टिस प्रकाश टाटिया व जस्टिस जया राय की खंडपीठ ने 10 अप्रैल 2013 को रांची नगर निगम की ओर से दिये गये जवाब को खारिज करते हुए राज्य सरकार से पूछा: कब तक रांची में सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम चालू हो जायेगा. अदालत को तिथिवार जानकारी दी जाये.
खंडपीठ ने नगर विकास विभाग के सचिव और रांची नगर निगम के सीइओ को सशरीर हाजिर होकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. उन्हें 15 जुलाई को अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा गया है. खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ था कि यहां पर सस्टेनेबल डेवलपमेंट होगा, पर अब तक राज्य में अपना विधानसभा भवन तक नहीं है.
राज्य का अपेक्षित विकास नहीं हुआ. प्लानिंग व डीपीआर बनाने पर बहुत पैसे खर्च किये गये. यह खर्च उस नुकसान से कम है, जो यहां बिना काम किये हुआ है. राज्य के अफसरों की अकर्मण्यता के कारण राज्य की बड़ी राशि लैप्स हो गयी.
अफसर सिर्फ अपनी तनख्वाह व सुविधा पर ही ध्यान देते हैं. केंद्र सरकार से पैसे तो आये, पर उसका समुचित उपयोग नहीं किया गया. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार व विशाल कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि हरमू नदी की साफ-सफाई के लिए अदालत ने सरकार व जिला प्रशासन को कई बार आदेश दिया, लेकिन सफाई नहीं करायी गयी.सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम भी तैयार नहीं किया गया. शहर की नालियां सीधे हरमू नदी में गिरती हैं, जिससे गंदा पानी व कचरा नदी में जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ललन कुमार शर्मा ने अवमानना याचिका दायर कर जनहित याचिका में पारित आदेश का अनुपालन कराने का आग्रह किया है.