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स्पेशल एजुकेटर समझते हैं स्टूडेंट्स की भावना

व्यक्ति के जीवन की पहली शिक्षक उसकी मां होती है. पहली पाठशाला घर को कहा जाता है. हालांकि लेकिन जीवन के व्यावहारिक ज्ञान के लिए टीचर की आवश्यकता होती ही है. टीचर हर बच्चे के लिए स्पेशल होता है. वह उसके सपने को आकार देता है, उसमें रंग भरता है. विपरीत परिस्थिति में हौसला बढ़ाता […]

व्यक्ति के जीवन की पहली शिक्षक उसकी मां होती है. पहली पाठशाला घर को कहा जाता है. हालांकि लेकिन जीवन के व्यावहारिक ज्ञान के लिए टीचर की आवश्यकता होती ही है. टीचर हर बच्चे के लिए स्पेशल होता है. वह उसके सपने को आकार देता है, उसमें रंग भरता है. विपरीत परिस्थिति में हौसला बढ़ाता है. कई बार ऐसा होता है जब क्लास में कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो ठीक से पढ़ नहीं सकते. अच्छे मार्क्स नहीं ला सकते. सामान्य बच्चों की तरह हंस या बोल नहीं सकते, लेकिन सही गाइडेंस मिले, तो मुमिकन है कि अच्छा पेंटर, अच्छा स्पोर्ट्स पर्सन या अच्छे आर्टिस्ट बन सकते हैं. ऐसे ही बच्चों के लिए स्पेशल एजुकेटर की आवश्यकता होती है. क्या है स्पेशल एजुकेटरहर बच्चा एक जैसा नहीं होता. कुछ फिजिकली या मेंटली हैंडीकैप्ड होते हैं. लर्निंग डिसेबिलिटी की समस्या होती है. इनका माइंड ऐसा नहीं होता कि वे आम बच्चों की तरह सीख पायें, लेकिन स्पेशल ध्यान देने पर उनकी क्षमता की परख हो सकती है. इस हुनर को ही पहचानता है एक स्पेशल एजुकेटर. स्पेशल एजुकेटर बच्चों का दोस्त बनकर उनके मेंटल लेवल को समझता है, उनका कॉन्फिडेंस बढ़ाता है और आगे बढ़ने के लिए इंस्पायर करता है.कैसे बने स्पेशल एजुकेटरसाइकोलॉजी सब्जेक्ट वाले इस क्षेत्र में कैरियर बना सकते हैं. इस विषय के साथ आप इस क्षेत्र में डिप्लोमा, डिग्री के अलावा एमएससी, एमफिल, पीएचडी तक के कोर्स कर सकते हैं. इसके लिए प्रोफेशनल कोर्स भी उपलब्ध है. आप स्पेशल एजुकेशन में बीएड भी कर सकते हैं, जो रेगुलर और डिस्टेंस दोनों ही मोड में उपलब्ध है. इग्नू और डीयू के अलावा सभी शहरों में इससे रिलेटेड कोर्स उपलब्ध हैं.व्यक्तिगत गुण- पेशेंस- लगातार सुनने की क्षमता – सीखने की ललक- काम के प्रति गंभीरता – अच्छी कम्यूनिकेशन स्किल्सअवसरवैश्विक स्तर पर इसका दायरा बढ़ता जा रहा है. बदलते माहौल ने इस फिल्ड को स्पेशल बना दिया है. समय के साथ इस क्षेत्र में संभावनाएं बन रही हैं. गवर्नमेंट के एजुकेशन प्रोग्राम्स में इसे शामिल किया जा रहा है. एक स्पेशल एजुकेशन टीचर, स्कूल-कॉलेज के अलावा, एनजीओ, प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटल्स, क्लिनिक्स में जॉब तलाश सकते हैं. आप स्पीच एंड लैंग्वेज पैथोलॉजी में ग्रेजुएट होने के साथ इस क्षेत्र में अनुभवी हैं, तो ऑस्ट्रेलिया, यूके व अन्य यूरोपियन देशों में भी रोजगार की संभावनाएं बनती हैं. इन स्वरूपों में करें शुरुआत- ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट- स्पेशल एजुकेटर- स्पीच एंड लैंग्वेज थेरेपिस्ट- साइकोलॉजिस्ट- स्कूल काउंसलर्स- सोशल वकर्स- एजुकेशनल डाइग्नोस्टिशियन- म्यूजिक थेरेपिस्ट

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