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दुनिया के टॉप 50 मुसलमों में भारत के दो चेहरे

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को भी मिली 500 की सूची में जगह एजेंसियां, नयी दिल्लीदुनिया भर के खास मुसलिम चेहरों में बरेलवी नेता मुफ्ती अख्तर रजा खान और देवबंद के महमूद मदनी ने स्थान बनाया है. हाल में हुए सर्वे में टॉप-50 में इन दोनों को शामिल किया गया है. ‘टॉप इंफ्लुएंसिएल मुसलिम्स’ की […]

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को भी मिली 500 की सूची में जगह एजेंसियां, नयी दिल्लीदुनिया भर के खास मुसलिम चेहरों में बरेलवी नेता मुफ्ती अख्तर रजा खान और देवबंद के महमूद मदनी ने स्थान बनाया है. हाल में हुए सर्वे में टॉप-50 में इन दोनों को शामिल किया गया है. ‘टॉप इंफ्लुएंसिएल मुसलिम्स’ की सूची में मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा खान 22वें और मौलाना महमूद मदनी 43वें नंबर पर हैं. हालांकि दुनिया के प्रभावशाली मुसलमानों की तैयार सूची में भारत के और लोग भी शामिल हैं.ओमान की द रॉयल अल-अल बायत इंस्टीट्यूट से संबद्ध द रॉयल इसलामिक स्ट्रेटजिक स्टडीज सेंटर (आरआइएसएससी) ने दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों के ख्याति प्राप्त 500 प्रभावशाली मुसलिमों की सूची तैयार की है. हालांकि टॉप-10 में देश का कोई भी व्यक्ति स्थान बनाने में कामयाब नहीं रहा. बरेलवी नेता मुफ्ती महमूद अख्तर रजा खान 22 वें और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिशासी सदस्य मौलाना महमूद मदनी 43वें स्थान पर हैं. प्रभावशाली लोगों की सूची में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद को भी शामिल किया गया है।इंस्टीट्यूट ने 13 विभिन्न क्षेत्रों में मुकाम हासिल करने वालों को इसमें शामिल किया है. आरआइएसएससी के अनुसार विश्व में 1.7 बिलियन आबादी मुसलमानों की है. यह आबादी करीब 23 फीसदी है और दुनिया की आबादी का पांचवां हिस्सा है. भारत में मुसलिम आबादी 14.6 फीसदी आंकी गयी है. सूची बनाने वाली संस्था ने आधार दिया है कि मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रजा भारत के श्रेष्ठ मुफ्ती, बरेलवी नेता और धार्मिक मार्गदर्शक हैं. दक्षिण एशिया में बरेलवी मूवमेंट के संस्थापक अहमद रजा खान के पौत्र हैं. उधर, मौलाना महमूद मदनी को सूची में शामिल करने का आधार लिया है कि वे जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता और अधिशासी सदस्य हैं. महमूद मदनी की जमीयत उलेमा-ए-हिंद 10 मिलियन मुसलिम सदस्य हैं. विद्वता, नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमता को भी इसमें शामिल किया गया है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय सदर अरशद मदनी इस सूची में हैं, लेकिन उनका नाम नीचे है. माना जा रहा है कि जमीयत-उलेमा-ए हिंद में दो फाड़ होने के बाद महमूद मदनी ने विदेशों में अपनी पहचान बनायी. राजनीतिक रूप से भी महमूद मदनी से खुद को मजबूत भी किया. उधर, अरशद मदनी ऐसा नहीं कर पाये.

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