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सालाना 1.10 करोड़ वेतन, पर काम कुछ नहीं

रिंग रोड डिवीजन का हुआ था गठन, दो साल से ठप है काममनोज लाल, रांचीरांची के रिंग रोड डिवीजन के पास फिलहाल कोई काम नहीं है. इस डिवीजन का गठन रिंग रोड निर्माण के लिए किया गया था, पर दो वर्षों से रिंग रोड का काम बंद है. इस कारण डिवीजन के इंजीनियर से लेकर […]

रिंग रोड डिवीजन का हुआ था गठन, दो साल से ठप है काममनोज लाल, रांचीरांची के रिंग रोड डिवीजन के पास फिलहाल कोई काम नहीं है. इस डिवीजन का गठन रिंग रोड निर्माण के लिए किया गया था, पर दो वर्षों से रिंग रोड का काम बंद है. इस कारण डिवीजन के इंजीनियर से लेकर कर्मी के पास कोई काम नहीं है. जबकि इनके वेतन पर सालाना करीब 1.10 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. दो वर्षों में करीब 25 करोड़ से अधिक खर्च हो गये हैं. मालूम हो कि रिंग रोड डिवीजन करीब पांच वर्षों से चल रहा है. शुरुआती समय में इसका काम चल रहा था. इधर, सूचना है कि रिंग रोड डिवीजन के निष्क्रिय रहने की सूचना पर विभाग ने एक-दो रोड के मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी इसे दी है. डोरंडा में डिवीजन कार्यालयरिंग रोड डिवीजन कार्यालय डोरंडा स्थित छप्पन सेट में है. रिंग रोड फेज सात (कांठीटांड़ से विकास तक) के निर्माण के लिए इसे बनाया गया था. इसमें एक कार्यपालक अभियंता के साथ ही तीन सहायक अभियंता व चार कनीय अभियंता हैं. इसके साथ ही लिपिकीय संवर्ग के कई कर्मी भी यहां पदस्थापित हैं. आदेशपाल भी कार्यरत हैं. इन सभी को मिला कर फिलहाल 1.10 करोड़ रुपये हर साल वेतन इन्हें मिलता है. नहीं मिल रही रिंग रोड के लिए एजेंसीरिंग रोड का निर्माण कार्य दो वर्षों से बंद है. इस सड़क के निर्माण के लिए एजेंसी नहीं मिल रही है. सरकार ने रिंग रोड निर्माण की जिम्मेवारी जेआरडीसीएल को दी है. पर उसे एजेंसी ही नहीं मिल रही है. ऐसे में यह प्रोजेक्ट लटकता हुआ दिख रहा है.156 से बढ़ कर 346 करोड़ हो गयी है लागतरिंग की लागत 156 करोड़ से बढ़ कर 346 करोड़ रुपये हो गयी है. जब 2007 में काम शुरू हुआ था, तो 156 करोड़ रुपये में काम एजेंसी को दी गयी थी. 40 फीसदी राशि खर्च कर दी गयी थी, पर काम अधूरा रह जाने के कारण एजेंसी को टर्मिनेट किया गया. अब विभाग ने इस अधूरे काम के लिए 346 करोड़ रुपये का डीपीआर बनाया है. फिर एजेंसियां काम लेने से कतरा रही हैं.

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