रांची : विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में यूपीए फोल्डर में गंठबंधन की गांठ दिल्ली में सुलझायी जायेगी. केंद्रीय नेतृत्व के साथ एक अक्तूबर को झामुमो और प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की बैठक होनी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और विधायक दल के नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह कांग्रेस के आला नेताओं के साथ सीट बंटवारे की पेंच सुलझायेंगे. एक-एक सीट पर सहयोगी दल ताकत तौलेंगे. सीट बंटवारे में दूसरे सहयोगी दलों को शामिल करने पर चर्चा होगी.
फिलहाल झामुमो ने विधानसभा के 40 से ज्यादा सीटों पर दावा किया है. वहीं कांग्रेस की नजर झामुमो के कुछ सीटिंग सीट पर है. प्रदेश कांग्रेस के कई आला नेताओं की सीट झामुमो से टकरा रही है. ऐसे नेताओं की सीट बचाने के लिए भी गंठबंधन में रास्ते की तलाश की जायेगी. राजद और जदयू के लिए फोल्डर में फॉमरूला तैयार किया जायेगा. दोनों सहयोगी दलों को 10 से 12 सीट देने की तैयारी है.
दूसरे नंबर पर आने वाली सीटों पर भी होगा दावा : कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाली सीटों पर नजर गड़ाये हुए है. सीटिंग सीट पर कांग्रेस की हालत बहुत अच्छी नहीं है. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस इन सीटों के साथ-साथ पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाली सीटों में जीत तलाश रही है. ऐसे गंठबंधन का मामला फंस सकता है. पिछले चुनाव में कई सीटों पर वह झामुमो से चुनाव हारी थी. ऐसे में झामुमो कांग्रेस के लिए वह सीट छोड़ने के लिए शायद ही तैयार हो.
फॉर्मूले पर राजद से भी होगी बात : कांग्रेस-झामुमो के बीच फॉमरूला तय होने के बाद राजद से भी बात होगी. प्रदेश में राजद के नेताओं से सहयोगी दलों की बात हुई है. लालू प्रसाद स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारी और रणनीति के मुद्दे पर लालू से भी बात होनी है.
झाविमो-राजद में भी हुई बात, लालू से मिले प्रदीप : यूपीए गंठबंधन में तसवीर अभी साफ होनी है. झामुमो छोड़ दूसरे घटक दल इस फोल्डर में झाविमो को भी शामिल करना चाहते हैं.
हाल में ही झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद से मुलाकात की थी. दोनों नेताओं के बीच वर्तमान राजनीतिक हालात पर बातचीत हुई. राज्य में गंठबंधन को लेकर भी चर्चा हुई है. राजद सुप्रीमो भाजपा के खिलाफ मोरचाबंदी में झाविमो को भी शामिल करने के पक्ष में हैं. वहीं प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता झाविमो के साथ गंठबंधन में जाना चाहते हैं.