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हॉस्टल में रहने वाले युवाओं की अलग होती है जीवनशैली तसवीर अमित दास की लाइफ रिपोर्टर @ रांचीबेहतरीन कैरियर के लिए युवाओं को घर से दूर जाना पड़ता है. मम्मी-पापा, भाई-बहन और अन्य रिश्तेदारों से सैकड़ों किमी दूर जाकर भविष्य संवारते हैं. कोई पढ़ाई कर रहा है, तो कोई जॉब. इसके बाद चिंता होती है रहने और खाने की. कुछ जो कभी घर में स्वयं पानी का ग्लास तक नहीं धोते वह हॉस्टल और लॉज में रह कर सभी काम करते हैं. हॉस्टल में रहने वाले युवाओं की जीवनशैली अलग ही होती है. वह खुद कुकिंग करते हैं. बरतन धोते हैं. झाड़ू लगाते हैं. आज भी हॉस्टल व लॉज में रहने वाले युवा मिलजुल कर करते हैं. प्रेम भाव के साथ एक साथ रहते हैं. संबंध में कोई खटास न पड़े इसके लिए लिए काम का बंटवारा कर लेेते हैं. किस दिन किसे कौन सा काम करना है इसकी सूची दरवाजे और खिड़की पर टांग दी जाती है. रांची में भी ऐसे कई लॉज हैं जहां तीन से पांच युवा पढ़ाई व नौकरी के सिलसिले में एक साथ रहते हैं. हॉस्टल लाइफ में युवाओं को आजादी मिलती है. खुद का निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और अपना बजट मेंटेन करना सीखते हैं. लॉज में रहने वाले यूथ की जीवन शैली पर एक रिपोर्ट…किराये का बंटवारा लाइन टैंक रोड स्थित मुंडा लॉज में पांच दोस्त विशाल सिंह (धनबाद), राहुल दांगी (रामगढ़), मुर्शीद खान (बासेपुर धनबाद), राजन कुमार (चक्रधरपुर) और पंकज कुमार (भुरकुंडा) एक साथ रहते हैं. ये तीन साल से साथ रह रहे हैं. रूम का किराया पांच हिस्सों में बंटता है. सभी अपने हिस्से का किराया महीने की पांच तारीख को एक जगह जमा कर देते हैं. कभी किसी को बोलने की जरूरत नहीं होती है. त्योहार मनाते हैं साथ लॉज में रहने वाले लड़के अलग-अलग धर्म के होते हैं. इसके बावजूद इनके बीच बेहतर रिश्ता है. कभी धर्म को लेकर मनमुटाव नहीं. बासेपुर के मुर्शीद बताते हैं कि कोई भी पर्व हो, हमलोग घर जाने से पहले एक-दूसरे को बधाई देते हैं. उसे सेलिब्रेट करते हैं. हाल ही में सभी ने ईद हर्षोल्लास से मनायी और सेवइयां का आनंद लिया. इसे लॉज में रह रहे अन्य युवकों में भी बांटा गया……………………………………………………..बंटे है सबके कामलॉज में रहनेवाले सभी दोस्तों के काम बंटे हुए हैं. ऐसा ही इस लॉज में देखने को मिला. यहां भी खाना बनाने से लेकर बरतन धोना और झाड़ू लगाने की सबकी अपनी-अपनी जिम्मेदारी है. यदि रविवार को किसी ने खाना बनाया, तो सोमवार को दूसरा सदस्य खाना बनायेगा. जिसकी कुकिंग की जिम्मेदारी होती है, वह साफ-सफाई का भी काम करता है. महीने में एक बार सभी पैसे मिला कर बाहर से खाना ऑर्डर करते हैं. सभी सदस्य अपने लंच बॉक्स और चाय कप खुद ही धोते हैं. इसकी एक लिस्ट भी दरवाजे पर टांग दी गयी है.जन्मदिन होता है सरप्राइजधनबाद के विशाल सिंह कहते हैं कि किसी रूम पार्टनर के बर्थ डे पर सभी दोस्त पैसा इकट्ठा कर बर्थ डे ब्वाय को सरप्राइज पार्टी देते हैं. रूम सजाया जाता है. केक काट कर बर्थ डे एंज्वॉय करते हैं. गिफ्ट देते हैं, ताकि घर की याद न आये. कोई दोस्त हॉस्टल छोड़ कर जाता है, तो सभी मिल कर पार्टी देते हैं. घर के सामान की होती है शेयरिंगजब कोई सदस्य छुट्टी पर घर जाता है, तो परिवार वाले काफी कुछ बना कर देते है. वह रूम आने की देरी होती है. सारा समानों की शेयरिंग होती है. समान को कभी कोई अकेले छुपा कर नहीं खाते सभी मिल बांट कर खाते है. यहां तक कभी कभी हम एक दूसरे के कपड़ों को बदल कर पहनते भी है. ………………………..क्या कहते हैं युवाहम पांच दोस्त पिछले तीन साल से एक रूम में रहते हैं. किसी चीज को लेकर कभी विवाद नहीं हुआ. कभी थोड़ी नोंक -झोंक भी हुई, तो वह एक दिन से अधिक समय तक गुस्सा नहीं रहता है. विशाल सिंह, बीकॉम गोस्सनर कॉलेज दोस्तों के बीच रहते-रहते अब आदत ऐसी हो गयी है कि घर की याद ही नहीं आती है. पर्व-त्योहार में भी सभी मिल कर एक साथ सेलिब्रेट करते हैं. इस दौरान सभी मिल कर मटन-चिकन आदि बनाते हैं. राहुल दांगी, बीसीए, रांची कॉलेज दोस्तों का साथ हमें अच्छा लगता है. एक साथ रहते-रहते अब, तो एक-दूसरे की आदत हो गयी है. साथ में खाना, झाड़ू-पोंछा से लेकर संडे को मूवी का लुत्फ भी उठाते हैं. हमेशा ग्रुप में ही मस्ती करते हैं. मुर्शीद खान, बीकॉम काम को लेकर कभी किसी के बीच मनमुटाव न हो इसके लिए सभी के बीच कामों का बंटवारा किया गया है. यदि किसी की तबीयत खराब हो, तो उस दिन वह रेस्ट करता है. उसकी जगह दूसरा दोस्त काम करता है. राजन कुमार, आइए सेकेंड इयर पर्व-त्योहार में घर से पकवान लेकर आते हैं. सभी दोस्त मिल कर खाते हैं. इस दौरान सभी दोस्त अपने घर से कुछ न कुछ खाने का सामान लेकर आते हैं. पंकज कुमार, आइएससी सेकेंड इयर

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