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हाल झारखंड का: अधिकारियों ने छठी जेपीएससी परीक्षा को बना दिया जलेबी

रांची : झारखंड के प्रतिभावान युवाओं को सरकारी सेवा में लाने के उद्देश्य से झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) का गठन हुआ. राज्य बने 19 साल हो गये, लेकिन आयोग अब तक पांच सिविल सेवा परीक्षा ही पूरी कर पाया है. राज्य के वरीय अधिकारियों ने बार-बार नियमावली में संशोधन कर इस परीक्षा को विवादित […]

रांची : झारखंड के प्रतिभावान युवाओं को सरकारी सेवा में लाने के उद्देश्य से झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) का गठन हुआ. राज्य बने 19 साल हो गये, लेकिन आयोग अब तक पांच सिविल सेवा परीक्षा ही पूरी कर पाया है. राज्य के वरीय अधिकारियों ने बार-बार नियमावली में संशोधन कर इस परीक्षा को विवादित बना िदया. पिछले चार साल से इस परीक्षा की प्रक्रिया आज तक जारी ही है. 2016 से आरंभ हुई नियुक्ति परीक्षा प्रक्रिया 2020 में भी चल ही रही है.
आरंभ से कभी न्यूनतम अंक, तो कभी आरक्षण विवाद में रही इस परीक्षा पर समय-समय पर राज्य सरकार के स्तर से प्रयोग होता रहा. मामला हाइकोर्ट व विधानसभा तक पहुंच गया. इसे लेकर विधानसभा में अमर बाउरी व सरयू राय के नेतृत्व में दो-दो कमेटियां तक बनीं. सरकार बार-बार नियमावली में संशोधन करती रही, जिससे परीक्षा लटकती चली गयी.
अभ्यर्थियों का मानना है कि नियुक्ति परीक्षा में कई विसंगतियां हैं. जेपीएससी का कहना है कि सरकार जैसी नियमावली देगी, अायोग उसी अनुरूप में परीक्षा का आयोजन करेगा. फिलहाल इस खींचतान में झारखंड के युवाओं की उम्र बढ़ती जा रही है अौर वे अन्य राज्यों में पलायन को विवश हो रहे हैं.
राज्य बने 19 साल हुए, लेकिन अब तक पांच सिविल सेवा परीक्षा ही पूरा कर पाया है जेपीएससी
इस प्रकार रहा मुख्य परीक्षा का परिणाम
मुख्य परीक्षा में कुल 990 अभ्यर्थी सफल हुए. इनमें सामान्य केटोगरी में 180 पद के विरुद्ध 546 अभ्यर्थी, एसटी के 84 पद के विरुद्ध 256 अभ्यर्थी, एससी के 39 पद के विरुद्ध 118 अभ्यर्थी, बीसी वन के 21 पद के विरुद्ध 64 अभ्यर्थी अौर बीसी टू के दो पद के विरुद्ध छह अभ्यर्थी सफल घोषित किये गये.
विभागवार रिक्तियां
प्रशासनिक सेवा 143
वित्त सेवा 104
शिक्षा सेवा 36
सहकारिता सेवा 09
सामाजिक सुरक्षा सेवा 03
सूचना सेवा 07
पुलिस सेवा 06
योजना सेवा 18
क्या रहा कट अॉफ मार्क्स
इस परीक्षा में अनारक्षित का कट अॉफ मार्क्स 508 रहा. जबकि बीसी वन का कट अॉफ मार्क्स 482, बीसी टू का कट अॉफ मार्क्स 506, एससी का कट अॉफ मार्क्स 435 अौर एसटी का कट अॉफ मार्क्स 421 रहा.
छठी सिविल सेवा परीक्षा की लंबी राह
1. आयोग ने 326 पदों के लिए मांगे थे आवेदन
जेपीएससी द्वारा छठी सिविल सेवा परीक्षा की प्रक्रिया वर्ष 2016 से चल रही है. 326 पदों पर नियुक्ति के लिए आयोग ने अॉनलाइन आवेदन मंगाये. हाइकोर्ट के निर्देश के आलोक में आयोग ने नि:शक्तों को आरक्षण देने की स्थिति स्पष्ट करते हुुए आवेदन जमा करने की तिथि बढ़ा दी थी. कुल आवेदन एक लाख 10 हजार आये. स्क्रूटनी के बाद 95 हजार आवेदन स्वीकृत किये गये. 18 दिसंबर 2016 को प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) ली गयी. लेकिन पीटी में लगभग 70 हजार आवेदक ही शामिल हुए.
2. पहली बार 23 फरवरी 2017 को आया रिजल्ट
पहली बार रिजल्ट 23 फरवरी 2017 को जारी किया गया. इसमें 5138 अभ्यर्थी सफल घोषित हुए. इसका विरोध शुरू हुआ. मामला हाइकोर्ट पहुंचा. इस बीच सरकार ने अोबीसी को छूट देने संबंधी नियमावली में संशोधन कर हाइकोर्ट के समक्ष रखा. इसमें 206 अंक से अधिक लानेवाले अभ्यर्थी को भी शामिल कर परीक्षाफल जारी करने का निर्देश दिया गया. आयोग ने 11 अगस्त 2017 को संशोधित रिजल्ट जारी किया. इसमें 965 अभ्यर्थी बढ़ गये. संशोधित रिजल्ट में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या 6103 हो गयी.
3. संशोधित रिजल्ट पर शुरू हो गया हंगामा
जब रिजल्ट जारी हुआ, तो एसटी/एससी उम्मीदवारों ने हंगामा शुरू कर दिया कि आरक्षण का पालन नहीं किया गया. छात्रों द्वारा धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया. इस बीच आयोग ने मुख्य परीक्षा की तिथि निर्धारित की, लेकिन तब तक मामला विधानसभा में चला गया. विधायकों ने मुख्य परीक्षा स्थगित कर संशोधित रिजल्ट जारी करने की मांग करने लगे. विधानसभा में कमेटी बनायी गयी. सरकार के निर्देश पर आयोग को मुख्य परीक्षा स्थगित करनी पड़ी. मामला फिर हाईकोर्ट पहुंच गया.
हाइकोर्ट में सुनवाई के समय ही राज्य सरकार ने एक बार फिर नियमावली में संशोधन कर दिया. इस नियमावली में सरकार ने विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग न्यूनतम अंक निर्धारित कर दिये. इसके तहत सामान्य के लिए 40 प्रतिशत, बीसी वन के लिए 34 प्रतिशत, बीसी टू के लिए 36.5 प्रतिशत अौर एससी/एसटी 32 प्रतिशत निर्धारित किये गये.
4. हाइकोर्ट ने जारी किया निर्देश
हाइकोर्ट ने सरकार की नयी नियमावली के तहत पीटी का रिजल्ट जारी कर मुख्य परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को शामिल करने का निर्देश दिया. साथ ही शर्त रखी कि रिजल्ट हाइकोर्ट के आदेश से प्रभावित रहेगा.
यानी हाइकोर्ट के आदेश के बाद ही रिजल्ट जारी होगा. आयोग ने तीसरी बार छह अगस्त 2018 को संशोधित रिजल्ट जारी किया. इस बार सफल उम्मीदवारों की संख्या बढ़ कर 34 हजार 634 हो गयी. आयोग ने इस आधार पर 28 जनवरी 2019 से मुख्य परीक्षा का आयोजन भी किया. लेकिन इस परीक्षा में 28531 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में शामिल हुए. आयोग द्वारा परीक्षक बुला कर उत्तरपुस्तिकाअों का मूल्यांकन भी कराया गया. करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद आयोग रिजल्ट प्रकाशन के लिए हाइकोर्ट के आदेश का इंतजार किया. हाइकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दूसरी बार संशोधित रिजल्ट में सफल 6103 अभ्यर्थी का ही रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया.
5. हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे छात्र
हाइकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया. सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के अादेश को बरकरार रखा. फलस्वरूप आयोग ने 28531 अभ्यर्थियों में से 6103 अभ्यर्थियों की स्क्रूटनी करायी. इसमें पाया गया कि 3820 अभ्यर्थी ही मुख्य परीक्षा में शामिल हुए. आयोग इसी आधार पर रिजल्ट जारी किया. इसमें 326 पदों के विरुद्ध 990 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया और साक्षात्कार के लिए बुलाया. आयोग ने 326 गुणा तीन के आधार पर रिजल्ट जारी किया.
इस तहत 978 अभ्यर्थी हुए, लेकिन 12 अभ्यर्थी ऐसे मिले, जिन्हें समान अंक मिला. इस आधार पर साक्षात्कार के लिए उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या 990 हो गयी. अब एक बार फिर छात्रों का एक समूह रिजल्ट को गलत बताते हुए पूरी परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री का पुतला दहन भी किया. अब 24 फरवरी से आयोजित साक्षात्कार नहीं होने देने की चेतावनी दी है.

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