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फोटो .. नॉर्थ..अपने कर्तव्यों को भूलते जा रहे हम

शकुंतला अनूप (शिक्षिका) सीडी बालिका मध्य विद्यालय झुमरीतिलैया, कोडरमाइंट्रो– हम स्वतंत्र देश के निवासी हैं. हमारा देश एक विकासशील देश है. हम सब इसे विकसित देशों की सूची में शामिल करने के लिए प्रयासरत हैं. इसके लिए हमें अलग से कुछ करने की आवश्यकता नहीं है. जिस भी कार्य से जुड़े हैं. अपने कार्य को […]

शकुंतला अनूप (शिक्षिका) सीडी बालिका मध्य विद्यालय झुमरीतिलैया, कोडरमाइंट्रो– हम स्वतंत्र देश के निवासी हैं. हमारा देश एक विकासशील देश है. हम सब इसे विकसित देशों की सूची में शामिल करने के लिए प्रयासरत हैं. इसके लिए हमें अलग से कुछ करने की आवश्यकता नहीं है. जिस भी कार्य से जुड़े हैं. अपने कार्य को पूरी ईमानदारी व निष्ठा से करें. यही देश की सच्ची सेवा होगी. स्वतंत्रता दिवस मात्र झंडा फहराने, उत्सव मनाने और मिठाइयां खाने का दिन नहीं है. यह क्रांतिकारियों के असंख्य बलिदानों को याद करके देश की एकता और अखंडता को बनाये रखने का संकल्प लेने का भी दिन है. यदि हम यह संकल्प कर लें, तो हमारी हस्ती को कोई मिटा न सकेगा. ‘स्वतंत्रता’ शब्द सुनते ही व्यक्ति एक नया जोश उमंग और उत्साह की भावना से ओत-प्रोत हो उठता है. सामान्यत: ‘स्व’ स्वार्थ का प्रतीक है. पर, यदि स्वाधीनता या स्वतंत्रता की बात की जाये, तो यह परमार्थ में बदल जाता है. यह शब्द हमें असंख्य त्याग, बलिदान और संघर्षों की याद दिलाता है.आज स्वतंत्रता के लगभग 67 वर्षों के बाद हम पाते हैं कि आजादी के प्रति हमारी भावनाएं और मूल्य कुछ बदल से गये हैं. हमारे बुजुर्ग जो स्वाधीनता संग्राम के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं. उनके प्रति अपने कर्तव्यों और उनके सम्मान को हम भूल से गये हैं. हमारा युवा वर्ग जिसमें अदम्य उत्साह, स्फूर्ति, कर्मठता, आत्मविश्वास, निर्भयता, साहस और कुछ नया कर दिखाने की भावना है, इनमें से 50 प्रतिशत युवा निराश, हतोत्साहित, निस्तेज, आक्रोशित और मुख्य धारा से कटे हुए हैं. 20 प्रतिशत मोबाइल, इंटरनेट जैसे आधुनिक उपकरणों के जाल में फंस कर देश के प्रति अपने कर्तव्य को भुला बैठे हैं. शेष अपने भविष्य और देश के प्रति सजग कहे जा सकते हैं. रही बच्चों की बात, तो वे अपने बड़ों को देख कर ही सीखेंगे. या हम जो उन्हें सिखायेंगे, वे वही सीखेंगे. हम जानते हैं कि युवाओं में अदम्य जोश है और बुजुर्गों में गहरा अनुभव. यदि युवाओं के जोश को अनुभव का साथ मिले, तो उनके सकारात्मक सोच व कार्य देश की प्रगति के नये आयाम खोलेंगे. उन्हें देख कर बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी.भारत के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता मौलाना अबुल कलाम आजाद ने कहा था कि आसमान से कोई मसीहा आये और कुतुबमीनार पर चढ़ कर मुझसे पूछे कि तुम्हें आजादी चाहिए या इनसानियत, तो मैं उनसे इनसानियत मांगूंगा. क्योंकि यदि हममें इनसानियत नहीं है, तो हम आजादी को प्राप्त तो कह ही नहीं सकते, बल्कि प्राप्त आजादी को भी गंवा सकते हैं.सुप्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा है – ‘स्वतंत्रता जाति की लगन व्यक्ति की धुन है, बाहरी वस्तु नहीं, भीतरी गुण है, पर इसे बनाये रखने के लिए दृढ़ संकल्प होना भी आवश्यक है. यदि देश के प्रति अपने कर्तव्य को भूल कर स्वार्थ सिद्धि में लग जायें, तो अनेक बलिदानों के बाद प्राप्त स्वतंत्रता को खोने में देर भी नहीं लगेगी.हम स्वतंत्र देश के निवासी हैं. हमारा देश एक विकासशील देश है. हम सब इसे विकसित देशों की सूची में शामिल करने के लिए प्रयासरत हैं. इसके लिए हमें अलग से कुछ करने की आवश्यकता नहीं है. जिस भी कार्य से जुड़े हैं. अपने कार्य को पूरी ईमानदारी व निष्ठा से करें. यही देश की सच्ची सेवा होगी. स्वतंत्रता दिवस मात्र झंडा फहराने, उत्सव मनाने और मिठाइयां खाने का दिन नहीं है. यह क्रांतिकारियों के असंख्य बलिदानों को याद करके देश की एकता और अखंडता को बनाये रखने का संकल्प लेने का भी दिन है. यदि हम यह संकल्प कर लें, तो हमारी हस्ती को कोई मिटा न सकेगा. ‘यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गये जहां से,कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी.जय हिंद!

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