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कम पीएफ काटने वाली कंपनियों की जांच होगी

एजेंसियां, नयी दिल्लीनियोक्ताओं की ओर से प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) देनदारी कम करने के लिए वेतन को कई मदों में बांटने जैसी समस्याओं से निबटने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) ने जांच शुरू कर दी है. इपीएफओ ने अपने सभी 120 फील्ड ऑफिस से ऐसी कंपनियों की जांच करने को कहा है, जो कुल […]

एजेंसियां, नयी दिल्लीनियोक्ताओं की ओर से प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) देनदारी कम करने के लिए वेतन को कई मदों में बांटने जैसी समस्याओं से निबटने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) ने जांच शुरू कर दी है. इपीएफओ ने अपने सभी 120 फील्ड ऑफिस से ऐसी कंपनियों की जांच करने को कहा है, जो कुल सैलरी के 50 फीसदी या इससे कम पर पीएफ कटौती कर रही हैं.कई नियोक्ता पीएफ की अपनी देनदारी कम करने के लिए वेतन को कई तरह के भत्तों में बांट देते हैं. इससे उनकी पीएफ देनदारी कम हो जाती है. मौजूदा सिस्टम के मुताबिक, कर्मचारियों की मूल सैलरी पर 12 फीसदी की दर से पीएफ काटा जाता है. साथ ही, इतनी ही राशि एंप्लॉयर्स को भी कर्मचारी के खाते में देनी होती है.इपीएफओ की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है, फील्ड ऑफिस के सभी प्रभारी अधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे ऐसी कंपनियों की जांच करें, जहां कर्मचारियों की कुल सैलरी का 50 फीसदी या इससे कम राशि पर पीएफ कटौती की जाती है. इपीएफओ के इस आदेश के मुताबिक, इस तरह की कंपनियों की जांच का काम 31 अगस्त तक पूरा करने को कहा गया है. इपीएफओ ने अपने सभी ऑफिस से इस मामले में 7 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है. इपीएफओ का कहना है कि कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जिसमें एंप्लॉयीज की कुल सैलरी को एंप्लॉयर्स कई तरह के मद में बांट देते हैं, जिससे पीएफ देनदारी कुल सैलरी के 50 फीसदी तक कम हो जाती है. एंप्लॉयीज प्रॉविडेंट ऐक्ट के सेक्शन 2(बी) के मुताबिक, पीएफ कटौती के लिए बेसिक सैलरी में वैसे सारे भत्ते शामिल हैं जो ड्यूटी के दौरान एंप्लॉयीज हासिल करते हैं. इससे पहले इपीएफओ ने इस संबंध में नवंबर 2012 में वेतन आपस में जोड़ने के लिए अधिसूचना जारी की थी, लेकिन बाद में इसे स्थगित कर दिया गया. हालांकि, बाद में मूल सैलरी के साथ विभिन्न भत्तों को जोड़ते हुए पीएफ काटने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श के लिए एक कमिटी बनायी गयी. कमिटी ने सोशल सिक्यॉरिटी बेनिफिट बढ़ाने के लिए इपीएफओ की तरफ से चलायी जा रही स्कीमों का समर्थन किया था. 30 नवंबर 2012 को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया था, सभी ऐसे साधारण भत्तों को जो एंप्लॉयीज को एकमुश्त निश्चित तौर पर मिलते हैं, बेसिक सैलरी की तरह माना जाना चाहिए. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी इपीएफओ ने कुल वेतन का 50 फीसदी या उससे कम पीएफ काटने वाली कंपनियों की जांच के आदेश दिये हैं. इपीएफओ के मुताबिक नियोक्ता वेतन को विभिन्न भत्तों में बांट रहे हैं. इससे पीएफ में अंशदान कम हो रहा है.इपीएफओ ने ऐसी कंपनियों की जांच के लिए 120 से ज्यादा फील्ड कार्यालयों को काम पर लगाया है. आदेश के मुताबिक कंपनियों की जांच का काम इस साल 31 अगस्त तक हो जाना चाहिए.

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