रांची : झारखंड में जनजातीय उप योजना (ट्राइबल सब प्लान या टीआरआइ) के बेहतर क्रियान्वयन को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसका मकसद टीएसपी के बेहतर क्रियान्वयन के लिए संभावित कानून पर चर्चा करना था.
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ट्राइबल सब प्लान का बेहतर क्रियान्वयन जरूरी
रांची : झारखंड में जनजातीय उप योजना (ट्राइबल सब प्लान या टीआरआइ) के बेहतर क्रियान्वयन को लेकर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसका मकसद टीएसपी के बेहतर क्रियान्वयन के लिए संभावित कानून पर चर्चा करना था. डॉ राम दयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) के सभागार में आयोजित कार्यशाला में विषय प्रवेश कराते […]
डॉ राम दयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) के सभागार में आयोजित कार्यशाला में विषय प्रवेश कराते हुए टीआरआइ के निदेशक रणेंद्र कुमार ने कहा कि टीएसपी के सही क्रियान्वयन से जनजातीय क्षेत्रों की हालत सुधारी जा सकती है. आंध्र प्रदेश व तेलंगाना जैसे राज्य इसके उदाहरण हैं.
कार्यशाला के दौरान तेलंगाना सहित अन्य राज्यों के विशेषज्ञों व अधिकारियों ने अपने राज्यों के अनुभव साझा किये और बताया कि वहां टीएसपी के संबंध में बना नया कानून राजनीतिज्ञ, सिविल सोसाइटी व जन संगठनों के संघर्ष से बना है.
झारखंड में भी ऐसे संघर्ष की जरूरत है. कार्यशाला के दूसरे दिन झारखंड के अधिवक्ता रश्मि कात्यायन द्वारा तैयार टीएसपी से संबंधित कानून के ड्राफ्ट का प्रेजेंटेशन किया गया. फिया फाउंडेशन के स्टेट मैनेजर जॉनसन टोपनो ने इसकी प्रस्तुति दी. बाद में इस पर चर्चा हुई तथा सुझाव दिये गये.
कार्यशाला में आदिवासी कल्याण आयुक्त शिशिर कुमार सिन्हा, कर्नाटक के आइएएस जी कुमार नायक, हरियाणा के आइएएस राजशेखर बुंडरु, झारखंड के सेवानिवृत्त आइएएस शिव बसंत, अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल, टीआरआइ के उप निदेशक चिंटू गोराई बुरु, रिसर्च स्कॉलर नेहा प्रसाद व शैली केरकेट्टा सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
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