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कोषागारों में 600 करोड़ के बिल पेंडिंग
रांची : राज्य के कोषागारों में 600 करोड़ रुपये से अधिक के बिल लंबित हैं. बिलों के भुगतान में देरी का कारण राज्य सरकार को केंद्र से जीएसटी का मुआवजा समय पर नहीं मिलना बताया जाता है. केंद्र सरकार ने राज्य को अक्तूबर माह से जीएसटी के मुआवजे का भुगतान नहीं किया है. केंद्र पर […]
रांची : राज्य के कोषागारों में 600 करोड़ रुपये से अधिक के बिल लंबित हैं. बिलों के भुगतान में देरी का कारण राज्य सरकार को केंद्र से जीएसटी का मुआवजा समय पर नहीं मिलना बताया जाता है. केंद्र सरकार ने राज्य को अक्तूबर माह से जीएसटी के मुआवजे का भुगतान नहीं किया है. केंद्र पर इस मद में करीब 900 करोड़ रुपये बकाये का अनुमान है.
जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार ने राज्यों के होनेवाले नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देने का वायदा किया था. जीएसटी लागू होने के बाद से सरकार को वैट के मुकाबले प्रति माह औसतन 200-250 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. केंद्र सरकार द्वारा प्रति माह इस राशि का भुगतान नहीं किये जाने की वजह से राज्य को आर्थिक मामलों में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में जीएसटी मुआवजा के रूप में 1,029 करोड़ और 2018-19 में 1,555 करोड़ रुपये दिये. हालांकि, चालू वित्तीय वर्ष में जीएसटी मुआवजा के रूप में सितंबर तक 1,284 करोड़ रुपये मिले हैं. जीएसटी मुआवजे का भुगतान समय पर नहीं होने की वजह से कोषागारों में बिल लंबित रहने लगा है. सरकार के सामने आर्थिक परेशानियों का दूसरा कारण सामाजिक क्षेत्रों की योजनाओं को अचानक लागू करना है.
1000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा सरकार पर
राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में ही दिव्यांग, विधवा सहित सामाजिक क्षेत्र की पेंशन राशि बढ़ाने का फैसला किया. इससे सरकार पर सालाना करीब 600 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ बढ़ा. इसके अलावा 13 महीने का वेतन देने के फैसले से करीब 400 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ बढ़ गया. इन मदों में खर्च बढ़ने की वजह से भी सरकार की आर्थिक परेशानियां बढ़ गयी हैं. इससे सरकार के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा वेतन भत्ता व पेंशन सहित अन्य प्रकार के राजस्व खर्च में इस्तेमाल हो रहा है. महालेखाकार के आंकड़ों के विश्लेषण से यह जानकारी मिलती है कि नवंबर तक सरकार की कुल आमदनी का 94 प्रतिशत राजस्व मद में खर्च हो गया.
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