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विलय की ओर बढ़ा झाविमो, बाबूलाल ने बनायी अपनी टीम, नयी कार्यकारिणी में प्रदीप-बंधु को कोई पद नहीं, जानें अब आगे क्या !

रांची : झाविमो का हर कदम अब भाजपा में विलय की ओर बढ़ रहा है. बाबूलाल मरांडी ने पार्टी में अपनी टीम बनायी है. झाविमो ने नयी केंद्रीय समिति का गठन किया है. नयी केंद्रीय समिति में पार्टी के विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को पदाधिकारी नहीं बनाया गया है. दोनों ही विधायक 122 […]

रांची : झाविमो का हर कदम अब भाजपा में विलय की ओर बढ़ रहा है. बाबूलाल मरांडी ने पार्टी में अपनी टीम बनायी है. झाविमो ने नयी केंद्रीय समिति का गठन किया है. नयी केंद्रीय समिति में पार्टी के विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को पदाधिकारी नहीं बनाया गया है. दोनों ही विधायक 122 लोगों की केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्य होंगे.
प्रदीप यादव पार्टी में श्री मरांडी के बाद सबसे कद्दावर पद प्रधान महासचिव रह चुके हैं, जबकि बंधु तिर्की महासचिव का पद संभाल रहे थे. पार्टी के उपाध्यक्ष रहे पूर्व विधायक डॉ सबा अहमद भी केंद्रीय समिति से बाहर हैं. डॉ अहमद को कार्यकारिणी में भी जगह नहीं मिली है. शुक्रवार को पार्टी के नव-नियुक्त प्रधान महासचिव अभय सिंह ने केंद्रीय समिति की सूची जारी की. नयी कमेटी में श्री मरांडी केंद्रीय अध्यक्ष की पुरानी जिम्मेदारी में हैं. कमेटी में 10 उपाध्यक्ष, एक प्रधान महासचिव, छह महासचिव, नौ सचिव और एक कोषाध्यक्ष हैं. पार्टी ने मंच-मोर्चा और 26 जिलाध्यक्षों की घोषणा भी कर दी है.
प्रदीप-बंधु साथ बैठे, कहा : पार्टी संविधान का उल्लंघन, बाबूलाल से मिल विरोध दर्ज करायेंगे
झाविमो की नयी कमेटी बनते ही पार्टी के अंदर किचकिच शुरू हो गयी है. पार्टी के विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की नयी कमेटी पर सवाल उठा रहे हैं. शुक्रवार को कमेटी गठन के बाद दोनों ही विधायक साथ बैठे. इस कमेटी को लेकर अपनी आपत्ति पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के समक्ष दर्ज कराने पर सहमति बनायी. प्रदीप यादव ने कहा कि पार्टी के संविधान के अनुरूप कमेटी नहीं बनी है.
पार्टी संविधान का उल्लंघन दिख रहा है. श्री यादव ने पार्टी के संविधान की धारा-28 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें साफ लिखा है कि पार्टी में किसी भी स्तर पर निर्वाचित समितियों में आदिवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और अंतरजातीय विवाह करनेवाले नेताओं की 50 प्रतिशत भागीदारी होगी. इसमें अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष का पद एकल है. इसमें यह धारा लागू नहीं है, लेकिन नयी कमेटी में इसका अनुपालन नहीं हुआ है.
अब आगे क्या
नयी केंद्रीय समिति से भाजपा में विलय का प्रस्ताव पारित होगा
श्री मरांडी के पास बहुमत होगा, दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होगा
पार्टी इस विलय प्रस्ताव को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भेजा कर सूचित कर सकती है
भाजपा नेतृत्व से सहमति मिलने पर विलय की प्रक्रिया पूरी की जायेगी
विधायकों को जिम्मेदारी क्यों नहीं
पार्टी के दोनों विधायक पार्टी संविधान के अनुसार पदेन सदस्य हैं
पार्टी में महत्वपूर्ण पद न देकर बाबूलाल ने विलय के संभावित विरोध से बचना चाहा
किसी पार्टी पदाधिकारी के विरोध से सही संदेश नहीं जाता
पार्टी के सभी पदाधिकारी एक स्वर से विलय के पक्ष में हैं

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