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रांची : स्वनिर्भरता के लिए मशरूम की खेती बेहतर विकल्प : डीजे बसु

रांची : उषा मार्टिन के एचआर हेड डीजे बसु ने कारखाने के इर्द-गिर्द के गांवों के प्रगतिशील किसानों एवं महिला उद्यमियों से मुलाकात की. उन्होंने आजीविका संवर्द्धन के लिए सीएसआर के तहत किये जा रहे कार्यों के बारे में जाना. सीएसआर के तहत स्वनिर्भरता के लिए ग्रामीणों को मशरूम की खेती, मछली, बकरी एवं मुर्गी […]

रांची : उषा मार्टिन के एचआर हेड डीजे बसु ने कारखाने के इर्द-गिर्द के गांवों के प्रगतिशील किसानों एवं महिला उद्यमियों से मुलाकात की. उन्होंने आजीविका संवर्द्धन के लिए सीएसआर के तहत किये जा रहे कार्यों के बारे में जाना.
सीएसआर के तहत स्वनिर्भरता के लिए ग्रामीणों को मशरूम की खेती, मछली, बकरी एवं मुर्गी पालन के अलावा कौशल विकास से जोड़ा जा रहा है. अभी तक कारखाने के इर्द-गिर्द के 82 से अधिक ग्रामीणों को मशरूम की खेती से जोड़ा जा चुका है.
डीजे बसु ने कारखाना परिसर में आयोजित मशरूम बीज वितरण कार्यक्रम में कहा कि स्वनिर्भरता के लिए मशरूम एक बेहतर विकल्प है. इससे खुद के परिवार को पौष्टिक आहार तो मिलता ही है, यह आजीविका संवर्द्धन में भी सहयोग करता है. कंपनी सीएसआर के तहत विभिन्न माध्यमों से ग्रामीणों के विकास एवं उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास कर रही है. सीएसआर हेड डॉ मयंक मुरारी ने कहा कि कौशल विकास के तहत महिलाओं को प्रशिक्षण देकर स्वनिर्भर के लिए विभिन्न संस्थानों से जोड़ा जा रहा है. मशरूम की खेती से जोड़ने के पूर्व ग्रामीणों को बटन और ओयस्टर पद्धति से उत्पादन के लिए कई चरणों में प्रशिक्षण दिया गया है.
पहले चरण में गांव के स्तर पर अनगड़ा, चतरा, सिलवई एवं महिलौंग में तथा दूसरे चरण में कारखाना परिसर में प्रायोगिक प्रशिक्षण कराया गया. मशरूम वितरण में सिलवई, चतरा एवं महिलौंग के 30 ग्रामीणों को मशरूम के बीज का वितरण किया गया. कार्यक्रम के संयोजन में सीएसआर के भुवनेश्वर महतो, मोनित भूटकुमार, रोशन लिंडा एवं लालदेव महतो ने योगदान दिया.
सोशल साइट से मशरूम बेचा रहा है प्रवीण : टाटी बस्ती निवासी प्रवीण महतो टाटीसिलवे क्षेत्र में का जाना-पहचाना नाम है. खेती-बारी को केवल आजीविका का जरिया बनाने के बदले, उसने रोजगार का विकल्प बना दिया है.
प्रवीण ने बताया कि पिछले एक माह में मशरूम की खेती से वह नौ हजार रुपये की आमदनी कर चुका है. मशरूम की खेती करने में कुल लागत डेढ़ हजार आया था. क्या मशरूम को बेचने में कोई कठिनाई आयी? इस सवाल पर उसने बताया कि आज तकनीक का युग है. मैंने भी सोशल साइट पर मशरूम की खरीद-बिक्री की जानकारी डाल दी. इससे मशरूम को बेचना सहज हो गया. इसके अलावा खेती में नकदी फसल के पैदावार से आमदनी कर रहा हूं.

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