रांची: राज्य बिजली बोर्ड के गठन के बाद पहले से निबंधित चारों कंपनियों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार को 11.95 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. इसमें से 7.12 करोड़ रुपये दंड के रूप में भुगतान करने होंगे.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत बिजली बोर्ड के विघटन के बाद बनायी जाने वाली चारों कंपनियों का निबंधन 2005 में ही करा लिया था. लेकिन बोर्ड का बंटवारा नहीं होने के कारण इन कंपनियों का काम शुरू नहीं हो पाया था.
वर्ष 2005 में होल्डिंग कंपनी की पूंजी 526 करोड़ रुपये आंकी गयी थी. इसी के आधार पर निबंधन शुल्क के रुप में 2.67 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. अब नयी होल्डिंग कंपनी की पूंजी 526 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 1800 करोड़ रुपये करने का फैसला किया गया है.
इसलिए सरकार को निबंधन शुल्क के रूप में और 4.83 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. सिर्फ इतना ही नहीं 2005 में निबंधित कंपनियों द्वारा वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं करने, ऑडिट नहीं कराने और निर्धारित समय पर बोर्ड की बैठक नहीं बुलाने की वजह से दंड भी भरना होगा. इन प्रक्रिया का पालन नहीं करने की वजह से दंड के रूप में 7.12 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. इसके बाद ही इन कंपनियों को फिर से शुरू किया जा सकेगा.