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दक्षिण अफ्रीका में हिंदी साहित्य पर गोष्ठी को मिली सराहना

जोहानिसबर्ग. दक्षिण अफ्रीका में ‘भारत महोत्सव’ का मुख्य आकर्षण एक हिंदी साहित्य गोष्ठी थी, जिसमें शीर्ष भारतीय रचनाकारों ने खासी सराहना बटोरी. भारत-दक्षिण अफ्रीका कूटनीतिक संबंधों के 20 साल पूरे होने और दक्षिण अफ्रीका में लोकतंत्र के 20 साल पूरे होने पर भारतीय उच्चायोग ने भारत के संस्कृति मंत्रालय तथा दक्षिण अफ्रीका के कला एवं […]

जोहानिसबर्ग. दक्षिण अफ्रीका में ‘भारत महोत्सव’ का मुख्य आकर्षण एक हिंदी साहित्य गोष्ठी थी, जिसमें शीर्ष भारतीय रचनाकारों ने खासी सराहना बटोरी. भारत-दक्षिण अफ्रीका कूटनीतिक संबंधों के 20 साल पूरे होने और दक्षिण अफ्रीका में लोकतंत्र के 20 साल पूरे होने पर भारतीय उच्चायोग ने भारत के संस्कृति मंत्रालय तथा दक्षिण अफ्रीका के कला एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से यहां भारत महोत्सव आयोजित किया. दक्षिण अफ्रीका के हिंदी शिक्षा संघ (एचएसएसएसए) की अध्यक्ष मालती रम्बाली ने बताया ‘ना केवल इस क्षेत्र में भारत और दक्षिण अफ्रीका की सरकारों के बीच सहयोग है, बल्कि पिछले साल अफ्रीकी महाद्वीप में हुए पहले विश्व हिंदी सम्मेलन में हिंदी की देश में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाषा के तौर पर पुष्टि भी हुई.’ आयोजन के दौरान, दक्षिण अफ्रीका में 1860 में पहले भारतीय के आगमन के समय से हिंदी का प्रचार-प्रसार करने वाले दिग्गजों और शिक्षकों की भी सराहना की गयी. इस गोष्ठी में साहित्य अकादमी द्वारा प्रायोजित भारतीय रचनाकारों के 8 सदस्यीय दल ने हिस्सा लिया, जिसकी अगुवाई अशोक चक्रधर ने की. दल में नरेश चंद्र सक्सेना, ओम प्रकाश मिश्रा, प्रेम शंकर शुक्ला, भगवान सिंह, रेवती रमण प्रसाद, शिव नारायण सिंह और प्रेम कुंद्रा शामिल थे. समारोह के उद्घाटन के दौरान दक्षिण अफ्रीका में भारतीय उच्चायुक्त वीरेंद्र गुप्ता ने कहा, ‘संस्कृति की अभिव्यक्ति और इसके मूल्यों को समझने के माध्यम के तौर पर भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.’

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