27.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

झारखंड में बाघ होने को लेकर संशय, भारत सरकार नहीं कर रही पुष्टि़, 2003 में थे करीब 34 टाइगर

रांची : भारत सरकार अब झारखंड में बाघ होने की पुष्टि नहीं कर रही है. 2003 के आसपास झारखंड में करीब 34 बाघ थे. पिछले 15 साल में स्थिति ऐसी आ गयी है कि 2018 में हुए सर्वे में झारखंड में बाघ है या नहीं, इसको लेकर संशय है. वन विभाग के सरकारी आंकड़े की […]

रांची : भारत सरकार अब झारखंड में बाघ होने की पुष्टि नहीं कर रही है. 2003 के आसपास झारखंड में करीब 34 बाघ थे. पिछले 15 साल में स्थिति ऐसी आ गयी है कि 2018 में हुए सर्वे में झारखंड में बाघ है या नहीं, इसको लेकर संशय है. वन विभाग के सरकारी आंकड़े की मानें, तो 2003 में 50 तेंदुआ होने का दावा किया गया था. राज्य में नील गाय भी संकट में हैं. केवल तीन नील गाय होने का दावा विभाग द्वारा किया गया है.

राज्य में गिद्ध पर भी संकट है. 2011 की वन्य प्राणी गणना में मात्र सात गिद्ध और तीन साहिल होने का जिक्र है. 2018 के सर्वे में पांच बाघ होने का संकेत दिया गया है.हालांकि एक भी बाघ होने की पुष्टि नहीं की गयी है. एक माह पहले भारत सरकार के अधिकारियों ने पलामू टाइगर रिजर्व में आकर स्पष्ट रूप से कहा था कि यहां बाघ है कि नहीं, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है. अधिकारियों ने पलामू टाइगर के हैबीटेट को और दुरुस्त करने की सलाह दी थी.
झारखंड में कुल नौ वन्य प्राणी आश्रयणी
राज्य में कुल नौ वन्य प्राणी आश्रयणी है. इसका संरक्षण राज्य सरकार करती है. इसमें पलामू वन्य प्राणी आश्रयणी, हजारीबाग वन्य प्राणी आश्रयणी, कोडरमा वन्य प्राणी आश्रयणी, लावालौंग वन्य प्राणी आश्रयणी, पारसनाथ वन्य प्राणी आश्रयणी, तोपचांची वन्य प्राणी आश्रयणी, गौतमबुद्धा वन्य प्राणी आश्रयणी, पालकोट वन्य प्राणी आश्रयणी तथा दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी है. सबके अधिक वन्य प्राणी पलामू स्थित बेतला आश्रयणी में हैं. यहां 25 हजार से अधिक जंगली जानवर हैं. पालकोट वन्य प्राणी आश्रयणी में 3000 से अधिक जानवर हैं. इसके बाद दलमा में करीब 1700 वन्य प्राणी हैं.
बाघ को लेकर अलग-अलग दावे
बाघ की संख्या को लेकर वन विभाग के अधिकारियों के अलग-अलग दावे हैं. वन विभाग ने पलामू से संग्रहित मल देहरादून स्थित संस्थान में जांच के लिए भेजा था. इसमें तीन से पांच बाघ होने की पुष्टि की गयी थी.
वरीय अधिकारियों का कहना है कि पलामू टाइगर रिजर्व का पूरा सर्वे इस बार नहीं हो पाया था. इस कारण संख्या को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है. बाघों की संख्या को लेकर चिंतित भारत सरकार ने भी एक टीम पलामू भेजी थी. पिछले माह एनसीटीए की एक टीम ने पलामू टाइगर प्रोजेक्ट का दौरा कर वहां की स्थिति का जायजा लिया था.
बाघ बचाने पर खर्च कर दिये 50 करोड़
राज्य गठन के बाद से झारखंड में बाघ को बचाने पर 50 करोड़ से अधिक रुपये खर्च किये जा चुके हैं. राज्य सरकार को भारत सरकार भी पलामू टाइगर रिजर्व के लिए पैसा देती है. बाघ बचाने के लिए किये गये इतने खर्च के बाद भी संख्या में अप्रत्याशित कमी आयी है. इस दौरान बाघ गायब होने की सूचना वन विभाग को नहीं है. एक भी व्यक्ति पर इस मामले में प्राथमिकी नहीं की गयी है. 2003 के आसपास झारखंड में करीब 34 बाघ थे

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें