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आज के युवा झारखंड आंदोलन की वैचारिकता से अनभिज्ञ हैं : दयामनी

रांची : जमींदारी और वर्चस्ववादी विचारधारा को संरक्षण देनेवाली राजनीतिक मानसिकता के खिलाफ आदिवासियों ने झारखंड की मांग के साथ एक ऐतिहासिक संघर्ष शुरू किया था, लेकिन आज यह राज्य लूट खंड बना नजर आता है़ जिस आदिवासी संस्कृति के आधार पर इस राज्य की पहचान बननी चाहिए, उसकी झलक भी झारखंड में नहीं दिखायी […]

रांची : जमींदारी और वर्चस्ववादी विचारधारा को संरक्षण देनेवाली राजनीतिक मानसिकता के खिलाफ आदिवासियों ने झारखंड की मांग के साथ एक ऐतिहासिक संघर्ष शुरू किया था, लेकिन आज यह राज्य लूट खंड बना नजर आता है़
जिस आदिवासी संस्कृति के आधार पर इस राज्य की पहचान बननी चाहिए, उसकी झलक भी झारखंड में नहीं दिखायी पड़ती़ आज के युवा भी झारखंड आंदोलन से निकली वैचारिकता से अनभिज्ञ है़ं यह बात सामाजिक कार्यकर्ता फैसल अनुराग ने बगइचा, नामकुम में झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा आयोजित ‘मुद्दों की बात युवाओं के साथ’ विषयक सम्मेलन में रविवार को कही़
महिला नेत्री दयामनी बारला ने कहा कि युवाओं को जानना चाहिए कि लैंड बैंक में कैसी और किनकी जमीनें रखी गयी है़ं उन्हें कानून और अपने अधिकार, दोनों की जानकारी रखनी चाहिए़ कुमारचंद्र मार्डी ने कहा कि रोजगार तेजी से समाप्त हो रहे है़ं मंथन ने कहा कि कॉरपोरेट आदिवासियों के साथ पार्टनरशिप में व्यवसाय नहीं करना चाहते, लेकिन उन्हें लीज में जमीन चाहिए़ लेखक विनोद कुमार ने कहा कि अच्छे- बुरे का बोध ही कानून की आत्मा है़
सांस्कृतिक मुद्दों पर भी हुई बात : सांस्कृतिक मुद्दों पर प्रसिद्ध फिल्मकार मेघनाथ ने कहा ने संस्कृति एक सामूहिक विचार और जीवन दर्शन है़ उन्होंने आदिवासी सृजन गाथा पर एक एनिमेशन फिल्म भी दिखायी़
युवा कवि जसिंता केरकेट्टा ने कहा कि पहनावा रह जाये और मूल्य खत्म हो जायें, तो ऐसी परंपरा का कोई अर्थ नही़ं आदिवासी मूल्यों को बचाने के लिए एकजुट होने की जरूरत है़ इसी दर्शन से आदिवासी बचेंगे और मानुष बचेगा़ एचआरएलएम से जुड़े अधिवक्ता मो मुमताज, दीपक बाड़ा, मानकी तुबिद, विश्वनाथ आजाद ने भी अपनी बात रखी़

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