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वाहनों में लाउडस्पीकर और प्रेशर हॉर्न से जीना मुहाल

रांची : राज्य भर में वाहनों पर लाउडस्पीकर बजाने वाले ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण एक्ट का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रहे हैं. लोग लाचार हैं और सरकार बेपरवाह. ऐसे में लोगों का सुकून भगवान भरोसे है. दरअसल, देर रात को भी सड़कों पर हजार-हजार वाट का साउंड सिस्टम बजाते हुए वाहन गुजरते हैं. खास कर डीजे टाइप […]

रांची : राज्य भर में वाहनों पर लाउडस्पीकर बजाने वाले ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण एक्ट का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रहे हैं. लोग लाचार हैं और सरकार बेपरवाह. ऐसे में लोगों का सुकून भगवान भरोसे है. दरअसल, देर रात को भी सड़कों पर हजार-हजार वाट का साउंड सिस्टम बजाते हुए वाहन गुजरते हैं.

खास कर डीजे टाइप दो-चार बेपरवाह लोग हजारों लोगों का सुकून छीन लेते हैं. उन्हें इससे कोई मतलब नहीं कि वह जिस इलाके से गुजर रहे हैं, वह शांत परिक्षेत्र (साइलेंस जोन) है तथा वहां कोई अस्पताल है व मरीज सो रहे हैं.
बिहार ने इस समस्या से कमोबेश निजात पा ली है. पर झारखंड में यह पहल होनी अभी बाकी है. गौरतलब है कि लाउडस्पीकर बजाने के लिए प्रशासन की अनुमति आवश्यक है. रात 10 बजे से लेकर सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल वर्जित है. वहीं, सुबह छह बजे के बाद रात के 10 बजे तक भी लाउडस्पीकर बजाते वक्त ध्वनि तीव्रता की सीमा का भी ख्याल रखना आवश्यक है.
वाहनों में प्रेशर हॉर्न लगाने का चलन बढ़ने से परेशानी : इन दिनों वाहनों में प्रेशर हॉर्न लगाने का चलन फिर बढ़ गया है. भारी वाहनों सहित निजी चारपहिया वाहनों में प्रेशर हॉर्न लगाये जा रहे हैं, जबकि यह वर्जित है. चौक-चौराहों व बाजार में तीखे व तेज आवाज वाले प्रेशर हॉर्न बजने से लोग चौंक जाते हैं.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड काे रोकना है ध्वनि प्रदूषण : राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या प्रदूषण नियंत्रण समितियां व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के परामर्श से ध्वनि प्रदूषण से संबंधित तकनीकी व सांख्यिकी आंकड़ों का संग्रहण, संकलन व प्रकाशन करना है. वहीं, ध्वनि प्रदूषण को कम करने के प्रभावी उपाय भी करने हैं.
लोग लाचार हैं और सरकार बेपरवाह, ऐसे लोगों पर पुलिस-प्रशासन नहीं कर रहा है कार्रवाई
क्या है ध्वनि प्रदूषण (विनियमन व नियंत्रण) अधिनियम-2000
राज्य सरकार को वाहन की आवाजाही, हॉर्न बजाने, पटाखा फोड़ने, लाउडस्पीकर का इस्तेमाल तथा ध्वनि उत्पन्न करनेवाले अन्य उपकरणों से निकलने वाली ध्वनि की अधिकतम तीव्रता संबंधी निर्धारित सीमा पर नजर रखनी है.
अस्पताल, शिक्षण संस्थान व कोर्ट की सौ मीटर की परिधि को शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) माना जायेगा.
लाउडस्पीकर का इस्तेमाल सक्षम पदाधिकारियों से लिखित अनुमति के बाद ही किया जा सकता है.
लाउडस्पीकर, साउंड बॉक्स, वाद्य यंत्र, एंप्लिफायर तथा ध्वनि उत्पन्न करने वाले किसी भी उपकरण का रात में इस्तेमाल वर्जित है. ऐसा सिर्फ बंद जगह (कमरा, अॉडिटोरियम, बैंक्वेट हॉल व काॅन्फ्रेंस हॉल) या आमलोगों के लिए आपात स्थिति में ही किया जा सकता है.
किसी सांस्कृतिक या धार्मिक पर्व के अवसर पर सरकार रात के 10 बजे से मध्य रात्रि (12 बजे तक) तक ध्वनि विस्तारक यंत्र के इस्तेमाल की छूट दे सकती है. पर ऐसा वर्ष में 15 दिन से अधिक नहीं किया जा सकता है. संबंधित राज्य सरकार को पहले ही ऐसे कार्यक्रम की घोषणा कर देनी है.
शांत परिक्षेत्र (साइलेंस जोन) में रात को भोंपू (हॉर्न) या निर्माण कार्य में लगने वाली ऐसी मशीनें, जिससे तेज आवाज होती हो, इस्तेमाल नहीं करना है. पटाखे भी नहीं फोड़ने हैं.

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