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300 करोड़ का नुकसान

शॉर्ट टर्म परचेज की नीति नहीं बनायी रांची : बिजली खरीद की गलत नीति के कारण बिजली बोर्ड को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. आंध्र प्रदेश को बिजली बेच कर मुनाफा कमाने के चक्कर में 7.22 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने राज्य बिजली बोर्ड के ऑडिट के बाद […]

शॉर्ट टर्म परचेज की नीति नहीं बनायी

रांची : बिजली खरीद की गलत नीति के कारण बिजली बोर्ड को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. आंध्र प्रदेश को बिजली बेच कर मुनाफा कमाने के चक्कर में 7.22 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा. प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने राज्य बिजली बोर्ड के ऑडिट के बाद इससे संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेजी है.

सिर्फ लांग टर्म परचेज की है योजना

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली बोर्ड ने लांग टर्म पावर परचेज की योजना बनायी है. जरूरत के हिसाब से शॉर्ट टर्म पावर परचेज के लिए कोई नीति नहीं बनायी गयी और न ही उत्पादकों से कोई आपसी एकरारनामा किया है. राज्य में उत्पादन क्षमता नहीं बढ़ने और उत्पाद इकाइयों में होनेवाली खराबी के कारण बोर्ड को शॉर्ट टर्म के आधार पर बिजली खरीदनी पड़ी है.

शॉर्ट टर्म पावर परचेज से होगा नुकसान

रिपोर्ट में कहा गया है कि बोर्ड ने शॉर्ट टर्म के आधार पर 2010 से दिसंबर 2013 तक डीवीसी से 2.77 रुपये प्रति यूनिट की दर से 3275.3 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी. इसे कम दर पर बेचने से बोर्ड को 132.67 करोड़ का नुकसान हुआ. नियामक आयोग की ओर से डीवीसी का टेरिफ बढ़ाने के कारण बोर्ड को बिजली खरीद में 167.91 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा. इससे बोर्ड को शॉर्ट टर्म पावर परचेज से 300.58 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

ट्रांसमिशन लाइन का किराया 70 करोड़

रिपोर्ट में कहा गया है कि बोर्ड के ट्रांसमिशन सिस्टम में डीवीसी को जोड़ने के लिए कोई ग्रिड नहीं है. इस कारण डीवीसी झारखंड को बिजली देने से पहले उसे पीजीसीआइएल के ट्रांसमिशन सिस्टम में भेजता था. इसके बाद पीजीसीआइएल उस बिजली को बोर्ड के ट्रांसमिशन सिस्टम में भेजता है. दूसरी कंपनी का ट्रांसमिशन सिस्टम इस्तेमाल करने के बदले किराये के रूप में 70.55 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा.

आधुनिक से खरीदी बिजली नहीं बिकी

पीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बोर्ड को आधुनिक कंपनी से बिजली खरीदने के कारण 7.22 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. बोर्ड को गलत तरीके से बिजली खरीद कर दूसरे राज्य में बेचने की कोशिश में यह नुकसान हुआ है. आधुनिक ने फरवरी 2013 में शॉर्ट टर्म ओपन असेस के आधार पर 200 मेगावाट बिजली सप्लाइ का प्रस्ताव दिया था. बोर्ड ने मार्च 2013 में 100 मेगावाट बिजली खरीद कर आंध्र प्रदेश को बेचने की योजना बनायी. एक मार्च से आठ अप्रैल तक 83.16 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी. हालांकि दक्षिण क्षेत्र के ट्रांसमिशन में गड़बड़ी होने की वजह से इसकी बिक्री नहीं हो सकी. इसके बाद बोर्ड ने इसमें से 40.08 मिलियन यूनिट का इस्तेमाल खुद किया. शेष बिजली पीटीसी (पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन) को जरूरत पर वापस लेने के आधार पर दे दी.

बोर्ड ने जिस अवधि में आधुनिक से अधिक दर पर बिजली खरीदी, उस दौरान उसने सेंटर से निर्धारित कोटे (सेंट्रल एलोकेशन) से कम बिजली ली. कम कीमत पर सेंट्रल एलोकेशन से बिजली उपलब्ध रहने के बावजूद आधुनिक से बिजली खरीदने पर बोर्ड को 5.18 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. बोर्ड ने पीटीसी के पास जमा बिजली नवंबर- दिसंबर 2013 और जनवरी 2014 में वापस ले लिया. इस लेन-देन में बोर्ड को 1.33 करोड़ का भुगतान करना पड़ा. आधुनिक को समय पर बिल का भुगतान नहीं करने की वजह से बोर्ड को अतिरिक्त 1.22 करोड़ रुपये सरचार्ज के रूप में देना पड़ा.

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