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रांची : को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला में कृषि मंत्री ने की अनुशंसा, सीबीआइ जांच ठुकरा व्हिसल ब्लोअर को हटाने का आदेश

शकील अख्तर रांची : कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने झारखंड को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 19.58 करोड़ रुपये के घोटाले में सीबीआइ जांच के बदले व्हिसल ब्लोअर को ही हटाने का आदेश दिया है. साथ ही मंत्री ने घोटाले में शामिल अधिकारियों को सस्पेंड करने और बैंक का ऑडिट कराने का आदेश दिया है. वह इससे […]

शकील अख्तर
रांची : कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने झारखंड को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 19.58 करोड़ रुपये के घोटाले में सीबीआइ जांच के बदले व्हिसल ब्लोअर को ही हटाने का आदेश दिया है. साथ ही मंत्री ने घोटाले में शामिल अधिकारियों को सस्पेंड करने और बैंक का ऑडिट कराने का आदेश दिया है. वह इससे पहले बैंक घोटाले में निगरानी जांच की अनुशंसा भी ठुकरा चुके हैं.
रजिस्ट्रार, को-ऑपरेटिव ने बैंक की कुछ शाखाओं में जांच के दौरान मिले तथ्यों की गंभीरता को देखते बड़े पैमाने पर घोटाले की आशंका जतायी थी.
उन्होंने आरबीआइ के सर्कुलर का हवाला देते हुए सीबीआइ जांच की अनुशंसा की. इस सर्कुलर में तीन करोड़ से अधिक की गड़बड़ी मामले में सीबीआइ की एंटी करप्शन ब्रांच में प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश है. लिहाजा, बैंक में मिली गड़बड़ी के मद्देनजर कार्रवाई के लिए फाइल विभागीय मंत्री के पास भेजी गयी.
साथ ही इसकी सूचना मुख्य सचिव और वित्त विभाग को भेजी गयी. मुख्य सचिव ने मामले में आगे की कार्रवाई के लिए विभागीय मंत्री के माध्यम से फाइल भेजने का निर्देश दिया.
विभागीय मंत्री ने सीबीआइ जांच की अनुशंसा से जुड़ी फाइल पर विचार करने के बाद सीबीआइ जांच पर सहमति नहीं दी. उन्होंने बैंक में पदस्थापित सहकारिता सेवा के अधिकारी को हटा कर प्रोफेशनल के सहारे बैंक को चलाने का निर्देश दिया.
उनके इस निर्देश की वजह से बैंक के महाप्रबंधक के रूप में पदस्थापित सहकारिता सेवा के उस अधिकारी को हटाया जायेगा, जिसकी शिकायत पर बैंक में हो रहे घोटाले का पर्दाफाश हुआ था. इसके अलावा मंत्री ने वित्त विभाग द्वारा पहले किये गये ऑडिट की समीक्षा करने और बैंक का विस्तृत ऑडिट करा कर दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है.
रजिस्ट्रार ने कुछ शाखाओं में जांच के बाद बड़े घोटाले की जतायी थी आशंका
बैंक में गड़बड़ी पर कार्रवाई के लिए मंत्री के पास भेजी गयी थी फाइल
निगरानी जांच की अनुशंसा भी ठुकरा चुके हैं मंत्री
उल्लेखनीय है कि इससे पहले को-ऑपरेटिव बैंक में हुई जांच के दौरान मरम्मत के नाम पर गड़बड़ी करने का मामला सामने आया था. साथ ही फर्जी व्यक्तियों के नाम पर 22 खाता खोल कर 1.47 करोड़ रुपये का कर्ज देने और बैंक के ही पैसों से उसकी भरपाई करने का मामला पकड़ में आया था. विभाग ने इस मामले में निगरानी जांच की अनुशंसा करते हुए मंत्री की सहमति मांगी थी. लेकिन उन्होंने निगरानी जांच पर भी अपनी सहमति नहीं दी थी.

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