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रांची : जनाब! जिंदगी को रास्ता दीजिए…

अक्सर जाम में फंस जाती हैं एंबुलेंस, संवेदनहीन बने रहते हैं लोग बूटी मोड़-कोकर रोड के बीच दोपहर 1:30 बजे लगा हुआ था भीषण जाम जाम में फंसी हुई थीं तीन एंबुलेंस, सायरन के बावजूद नहीं मिल रहा था रास्ता रांची : कोई ऑक्सीजन मास्क के अंदर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है, […]

अक्सर जाम में फंस जाती हैं एंबुलेंस, संवेदनहीन बने रहते हैं लोग
बूटी मोड़-कोकर रोड के बीच दोपहर 1:30 बजे लगा हुआ था भीषण जाम
जाम में फंसी हुई थीं तीन एंबुलेंस, सायरन के बावजूद नहीं मिल रहा था रास्ता
रांची : कोई ऑक्सीजन मास्क के अंदर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है, बदहवास परिजनों की नजरें सड़क पर दायें-बायें ठसाठस भीड़ में से आगे निकलने का रास्ता खोज रही हैं, ताकि समय रहते अस्पताल पहुंच सकें और उन सांसों को टूटने से बचाया जा सके, लेकिन इससे पहले शहर की ट्रैफिक व्यवस्था ही दम तोड़ती नजर आती है.
दोपहर करीब 1:30 बजे बूटी मोड़ से कोकर की ओर जानेवाली सड़क पर ट्रैफिक जाम ऐसा रहा कि पैदल जानेवाले भी रास्ता ढूंढ़ रहे थे. एक ओर से चार-पांच आर्मी स्कूल बसें, तो दूसरी ओर से सुरेंद्रनाथ स्कूल व अन्य स्कूल की सात-आठ बसों के एक साथ आ जाने से चेशायर रोड के पास ट्रैफिक पुलिस के दो जवान भी सिर पीटते नजर आये. 20-20 मिनट तक गाड़ियां हिल भी नहीं पा रही थीं. ऐसे में बूटी मोड़ से आनेवाली दो एंबुलेंस को सैमफोर्ड हॉस्पिटल तक पहुंचने में एक घंटे से ज्यादे का वक्त लग गया. वहीं, कोकर चौक की ओर से रिम्स के लिए जा रही 108 एंबुलेंस भी इसी जाम में फंसा रही.
दोनों ओर से तीनों एंबुलेंस के सायरन का शोर भी इस भीड़ से रास्ता नहीं दिला सका. इधर, इस उमस भरी भीड़ में बच्चे भी बसों में बेहाल दिखे. एक-डेढ़ घंटे घर देर से पहुंचनेवाले बच्चों के अभिभावक ही इस पीड़ा को जान सकते हैं. अमूमन पूरे शहर की ट्रैफिक का पीक आवर में यही हाल है.
चिंता की बात इसलिए है कि इन सब में एक रोगी को तुरंत चिकित्सा की दरकार है और हम इतने संवेदनहीन हो चुके हैं कि कुछ सुनने-समझने को तैयार नहीं कि कभी ऐसी परिस्थिति में हम या हमारा अपना भी कोई हो सकता है. फिर सरकार से कैसी उम्मीद करें कि एक झटके में एक दिन इस ट्रैफिक जाम का निदान मिल जायेगा. जबकि पिछले दिनों केंद्रीय कैबिनेट द्वारा पास किये गये मोटर वाहन बिल के तहत एंबुलेंस जैसी जीवन रक्षक सेवाओं को रास्ता नहीं देने पर 10 हजार रुपये तक तक जुर्माने का प्रावधान लगाया गया है. जरा सोचिए कि इसमें आपकी भूमिका क्या है!
इस लचर व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रयास शहरवासियों व प्रशासन को मिलकर करना होगा. साथ ही स्कूल प्रशासन भी इस पर विचार करे कि एक साथ सभी बसों को नहीं छोड़ कर कुछ अंतराल पर छोड़े. हमें इन सुझावों पर विचार करना होगा कि शहर की मुख्य गलियों की सड़कों को इस प्रकार विकसित किया जाये, ताकि एंबुलेंस आदि इमरजेंसी सेवाओं को रास्ता मिल सके.

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