11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रांची : जमीन की हेराफेरी करनेवाले अफसरों पर मुकदमा नहीं चलाने का कानूनी प्रारूप एक बार फिर खारिज

शकील अख्तर कैबिनेट ने रेवेन्यू अथॉरिटीज प्रोटेक्शन एक्ट का प्रस्ताव दूसरी बार लौटाया रांची : राज्य कैबिनेट ने रेवेन्यू अथॉरिटीज प्रोटेक्शन एक्ट के प्रारूप पर दूसरी बार भी सहमति नहीं दी है. इस एक्ट को 25 जून को कैबिनेट की बैठक में पेश किया गया था. पर कैबिनेट ने इसे पारित किये बिना ही राजस्व […]

शकील अख्तर
कैबिनेट ने रेवेन्यू अथॉरिटीज प्रोटेक्शन एक्ट का प्रस्ताव दूसरी बार लौटाया
रांची : राज्य कैबिनेट ने रेवेन्यू अथॉरिटीज प्रोटेक्शन एक्ट के प्रारूप पर दूसरी बार भी सहमति नहीं दी है. इस एक्ट को 25 जून को कैबिनेट की बैठक में पेश किया गया था. पर कैबिनेट ने इसे पारित किये बिना ही राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग को लौटा दिया.
रेवेन्यू अथॉरिटीज प्रोटेक्शन एक्ट में यह प्रावधान किया है कि जमीन से जुड़े काम में गड़बड़ी होने पर हल्का कर्मचारी से लेकर प्रमंडलीय आयुक्त तक के अफसर के खिलाफ किसी भी तरह का मुकदमा (दीवानी या फौजदारी) नहीं चलाया जा सकेगा. पहले से चल रहे मुकदमे भी समाप्त हो जायेंगे. साथ ही इन अफसरों द्वारा काम के दौरान इस्तेमाल किये गये शब्दों के मामले में भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी.
तीन खंड में तैयार किया गया है प्रारूप:
राजस्व विभाग द्वारा तैयार किये गये इस कानून के प्रारूप के तीन खंड हैं. पहले खंड में इस कानून के नाम का उल्लेख है. दूसरे खंड में वैसे अधिकारियों और कर्मचारियों के पदनाम का उल्लेख है, जिन्हें इस कानून से संरक्षण मिलेगा. एक्ट के तीसरे हिस्से में यह प्रावधान किया गया है कि किसी वर्तमान या पूर्व अफसर पर राजस्व से जुड़े कार्यों या काम के दौरान बोले गये शब्द-कृत्यों के लिए फौजदारी या दीवानी मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा. साथ ही पहले से न्यायालय में चल रहे मामले भी आगे जारी नहीं रहेंगे.
सूची में हल्का कर्मचारी से लेकर आयुक्त तक शामिल : एक्ट की सूची में हल्का कर्मचारी, अमीन, भूमि सुधार उप समाहर्ता, जिला भू अर्जन पदाधिकारी, एसएआर अफसर, अपर समाहर्ता, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, बंदोबस्त पदाधिकारी, उपायुक्त और प्रमंडलीय आयुक्त शामिल हैं.
इसमें इन अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा किये जानेवाले या किये गये कार्यों का उल्लेख है. इसमें मूल्यांकन, संग्रह, राजस्व वसूली, म्यूटेशन सहित सभी प्रकार के अर्द्ध न्यायिक कार्य शामिल किये गये हैं.
राजस्व सेवा संघ की मांग पर बन रहा है कानून : राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा इस कानून का प्रारूप कर्मचारी संघ की मांग के आलोक में तैयार किया गया है. मार्च 2017 में राजस्व सेवा संघ और भूमि सुधार कर्मचारी संघ की बैठक विभागीय मंत्री के साथ हुई थी. इसमें राजस्व से जुड़े कर्मियों और अफसरों को न्यायिक सेवा के अधिकारियों की तरह संरक्षण देने के लिए कानून बनाने पर सहमति हुई थी.
संघ की ओर से तर्क किया गया था कि न्यायिक सेवा के अधिकारी मुकदमों का निबटारा करते हैं. उन्हें प्रोटेक्ट करने के लिए ‘दी जजेज प्रोटेक्शन एक्ट 1985’ लागू है. राजस्व से जुड़े अधिकारी भी अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया के तहत जमीन विवाद का निबटारा करते हैं, इसलिए उन्हें भी प्रोटेक्शन देने के लिए एक्ट बनाना चाहिए, ताकि वे निर्भीक हो कर अपना काम कर सकें.
2018 में भी खारिज हुआ था प्रस्ताव : मार्च 2018 में हुई कैबिनेट की बैठक में पहली बार इस एक्ट के प्रारूप को लाया गया था. तब भी कैबिनेट ने इसे खारिज कर दिया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें