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बिना आवेदन मिला लोन, को-ऑपरेटिव बैंक से कैश क्रेडिट लोन की फाइलें गायब

शकील अख्तर रांची : देवघर और जामताड़ा कोऑपरेटिव बैंक की जांच के दौरान कैश क्रेडिट लोन से संबंधित फाइलें गायब पायी गयी हैं. जांच समिति को कई शाखाओं से कैश क्रेडिट लोन से संबंधित फाइल ही नहीं मिली. जबकि बिना आवेदन के ही कैश क्रेडिट लोन देने का भी मामला पकड़ में आया है. संताल […]

शकील अख्तर
रांची : देवघर और जामताड़ा कोऑपरेटिव बैंक की जांच के दौरान कैश क्रेडिट लोन से संबंधित फाइलें गायब पायी गयी हैं. जांच समिति को कई शाखाओं से कैश क्रेडिट लोन से संबंधित फाइल ही नहीं मिली.
जबकि बिना आवेदन के ही कैश क्रेडिट लोन देने का भी मामला पकड़ में आया है. संताल परगना सहयोग समितियों के संयुक्त निबंधक की अध्यक्षता में गठित जांच समिति ने देवघर और जामताड़ा की सभी शाखाओं द्वारा दिये गये कर्ज की विस्तृत जांच कराने की अनुशंसा की है.
11.77 करोड़ के लोन में 8.52 करोड़ एनपीए : रिपोर्ट में कहा गया है कि देवघर-जामताड़ा कोऑपरेटिव बैंक द्वारा नियमों का उल्लंघन कर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और कैश क्रेडिट लोन के रूप में विभिन्न संस्थाओं को 11.77 करोड़ रुपये दिये गये. इसमें से अप्रैल 2019 तक कुल 8.52 करोड़ रुपये एनपीए हो गया है.
रिपोर्ट में बैंकों द्वारा नियमों का उल्लंघन कर और आधे अधूरे भरे गये आवेदनों के आधार पर ही कर्ज देना इसका मुख्य कारण बताया गया है.
रिपोर्ट में बैंक की चितरा शाखा का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जांच के दौरान प्रबंधक से खैरवानी एवं पलमा पैक्स को दिये गये कैश क्रेडिट लोन की फाइल मांगी गयी. पर वह इसे नहीं उपलब्ध करा सके, क्योंकि बैंक से इन दोनों पैक्सों को दिये गये क्रैश क्रेडिट लोन से संबंधित फाइल गायब है. इन दोनों पैक्सों को 40 लाख रुपये का क्रैश क्रेडिट एनपीए हो चुका है.
न आवेदन मिला न ही कोई कागजात
रिपोर्ट में कहा गया है कि पालाजोरी शाखा द्वारा लखनपुर डुमरिया पैक्स को 10 लाख रुपये का कैश क्रेडिट लोन दिया गया था, जो एनपीए हो चुका है.
जांच के दौरान कर्ज देने से जुड़ी फाइल मिली. लेकिन इस फाइल में न तो आवेदन था न ही कोई और कागजात. सारठ शाखा द्वारा धान खरीद के लिए गोपीबांध पैक्स को छह लाख रुपये का कैश क्रेडिट लोन दिया गया था. इस कर्ज के एनपीए होने के बाद इसके खिलाफ सर्टिफिकेट केस किया गया. पर इसी पैक्स को फिर से नौ लाख रुपये का कैश क्रैडिट लोन दे दिया गया.
ऑडिटेड रिपोर्ट के बिना 40 लाख कर्ज दिया
रिपोर्ट में मधुपुर शाखा द्वारा गोदलीटांड औद्योगिक सहयोग समिति के दिये गये क्रैश क्रेडिट लोन के बारे में कहा गया है कि इसे पहली बार 2011 में पांच लाख का कर्ज दिया गया. जांच समिति को इस कर्ज से संबंधित कोई फाइल नहीं दी गयी.
2015 में इस बढ़ा कर 15 लाख कर दिया गया. इसके बाद धीरे धीरे इसे बढ़ा कर 40 लाख कर दिया गया. इस समिति के पास अपनी ऑडिटेड रिपोर्ट भी नहीं थी. इस समिति पर 35 लाख रुपये से अधिक का बकाया है. पर वसूली के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

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