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जूनियर डॉक्टर की चिरौरी में परेशान रहा देवर, इधर हो गयी भाभी की मौत

रांची : पलामू निवासी 30 वर्षीय सुनीता देवी रिम्स की लचर व्यवस्था की भेंट चढ़ गयी. वह सर्जरी विभाग के ए-2 वार्ड में भर्ती थी. मरीज के देवर भूपेंद्र कुमार मेहता का आरोप है कि गुरुवार रात ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर की लापरवाही के कारण उसकी भाभी की मौत हुई है. उसने इसकी लिखित […]

रांची : पलामू निवासी 30 वर्षीय सुनीता देवी रिम्स की लचर व्यवस्था की भेंट चढ़ गयी. वह सर्जरी विभाग के ए-2 वार्ड में भर्ती थी. मरीज के देवर भूपेंद्र कुमार मेहता का आरोप है कि गुरुवार रात ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टर की लापरवाही के कारण उसकी भाभी की मौत हुई है. उसने इसकी लिखित शिकायत रिम्स के अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप से की है.

भूपेंद्र के अनुसार गुरुवार रात जूनियर डॉक्टर ने उसकी भाभी के लिए कुछ दवाएं लिखीं. जब वह खरीदने जा रहा था, तो डॉक्टर ने कहा : तुम यहीं रहो दवा आ जायेगी. तुम सिर्फ पैसे दे देना. इसके बाद एक व्यक्ति दवा लेकर आया. सुबह 4:30 भाभी को दी गयी. सुबह 5:30 बजे दवा खत्म होने लगी था, लेकिन तभी उनके मुंह से झाग आने लगी.तबीयत बिगड़ती देख वह डॉक्टर को लेने उनके कमरे में गया, लेकिन डॉक्टर नहीं मिले.
इसके बाद वह इमरजेंसी में गया, जहां डॉक्टर मिले. उसने डॉक्टर को साथ चलकर मरीज को देखने की गुजारिश की, लेकिन वे आने को तैयार नहीं हुए. कहने लगे : इमरजेंसी के मरीजों को कौन देखेगा? काफी चिरौरी करने के बाद डॉक्टर उसके साथ वार्ड में भर्ती उसकी भाभी को देखने आये. यहां पहुंचकर उन्होंने मरीज को देखा और कहा कि मरीज की मौत हो गयी है.
व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
  • रिम्स के सर्जरी विभाग के ए-2 वार्ड में भर्ती थी पलामू निवासी 30 वर्षीय महिला
  • जूनियर डॉक्टर ने लिखी दवा, परिजन को कहा : तुम पैसे दे दो, दवा आ जायेगी
  • दवा देने के बाद बिगड़ने लगी महिला की हालत, तो डॉक्टर को खोजने लगे परिजन
  • मरीज की मौत के बाद परिजन ने रिम्स अधीक्षक से की डॉक्टर की शिकायत
  • सिर में चोट लगने पर सुनीता को रिम्स लाये थे परिजन, 16 दिनों तक ठीक थी
भूपेंद्र कुमार मेहता ने बताया कि उसकी भाभी गर्भवती थीं. वह घर में ही सीढ़ी से गिर गयी थीं, जिससे उनके सिर में गहरी चोट लगी थी और कान से खून आ गया था. पहले पलामू में उनका इलाज कराया गया. सुधर नहीं हाेने पर उन्हें रिम्स लेकर आये थे. यहां सबसे पहले उन्हें इमरजेंसी में और उसके बाद सर्जरी ए-टू वार्ड में भर्ती किया गया. 16 दिन तक भाभी की स्थिति ठीक थीं. डॉक्टर साहब ने जिस व्यक्ति से दवा मंगवायी थी, उसे भूपेंद्र ने 800 रुपये दिये थे.
मरीज की मौत होते ही सारे कागजात लेकर चले गये डॉक्टर
भूपेंद्र का कहना है कि अगर उसकी भाभी का समय रहते इलाज किया गया होता, तो उनकी जान बच सकती थी. उसने बताया कि उसकी भाभी की मौत के बाद परिजन रोने लगे. इसी बीच सिस्टर या डॉक्टर कोई इलाज से संबंधित सभी कागजात अपने लेकर चले गये. कागजात मांगने पर कोई देने को तैयार नहीं था. पोस्टमार्टम कराने के लिए भी कोई मदद नहीं कर रहा है. भाभी को चार बच्चे हैं, जो अनाथ हो गये है. भैया ड्राइवर हैं, जो बाहर गये हैं.

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