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उपकरण घोटाला मामले में निगरानी जांच की अनुशंसा

रांची: जल संसाधन विभाग ने देवघर व दुमका में हुए उपकरण घोटाले की निगरानी जांच की अनुशंसा की है. इससे पहले विभाग ने उड़न दस्ता के माध्यम से मामले की जांच करायी थी. लघु सिंचाई रूपांकण प्रमंडल, देवघर व दुमका में लिफ्ट इरिगेशन के विभिन्न उपकरण फिल्ड में देने के बजाय गायब कर दिये गये. […]

रांची: जल संसाधन विभाग ने देवघर व दुमका में हुए उपकरण घोटाले की निगरानी जांच की अनुशंसा की है. इससे पहले विभाग ने उड़न दस्ता के माध्यम से मामले की जांच करायी थी. लघु सिंचाई रूपांकण प्रमंडल, देवघर व दुमका में लिफ्ट इरिगेशन के विभिन्न उपकरण फिल्ड में देने के बजाय गायब कर दिये गये. वहीं इनकी इंट्री वितरण पंजी में दिखा दी गयी. मामला वर्ष 2006 का है.

उड़न दस्ता ने अपनी रिपोर्ट में संबंधित प्रमंडलों के कनीय अभियंता, सहायक अभियंता व कार्यपालक अभियंता को प्रथम दृष्टया दोषी माना है. वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए निगरानी जांच की अनुशंसा विभागीय मंत्री की सहमति के बाद की जा सकती है.

इसी के बाद विभागीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने जांच की सहमति दे दी. निगरानी को यह फाइल पखवाड़े भर पहले संयुक्त सचिव, जल संसाधन के माध्यम से उपलब्ध करायी गयी है. जो उपकरण गायब किये गये, उनमें विभिन्न मोटर, डीजल इंजन, स्टार्टर व चेन पुल-इन शामिल हैं.

झालको भी बदहाल
राज्य में लिफ्ट इरिगेशन की हालत बदतर है. विभागीय स्तर पर लिफ्ट इरिगेशन का काम जहां सुस्त गति से चल रहा है, वहीं झालको भी बदहाल है. बिहार के वक्त बिहार हिल एरिया लिफ्ट एरिगेशन कॉरपोरेशन लि (भालको) ने राज्य भर में 319 लिफ्ट इरिगेशन सिस्टम लगाया था. बाद में झारखंड में झालको बन गया. झालको के प्रबंध निदेशक किशोरी रजक के अनुसार इनमें से 317 खराब हैं.

क्या-क्या हुए गायब
देवघर व दुमका में मोटर-40 एचपी, मोटर-25 एचपी, मोटर-20 एचपी (02), डीजल इंजन-24 एचपी (02), स्टार्टर (10) और चेन पुल इन (06)

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