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रांची : गांधी ही वह विकल्प, जिससे बच सकती है दुनिया

पुस्तक ‘महावीर’ का लोकार्पण , राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा रांची : अंगुलिमाल का दिल जैसे बुद्ध ने बदला था, वैसे ही खुद पर हमला करनेवाले मीर अली का दिल महात्मा गांधी ने उसे माफ कर बदल दिया़ आज राजनीति में त्वरित सफलता के लिए जाति, धर्म या किसी और का नारा लगा लेते […]

पुस्तक ‘महावीर’ का लोकार्पण , राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा
रांची : अंगुलिमाल का दिल जैसे बुद्ध ने बदला था, वैसे ही खुद पर हमला करनेवाले मीर अली का दिल महात्मा गांधी ने उसे माफ कर बदल दिया़ आज राजनीति में त्वरित सफलता के लिए जाति, धर्म या किसी और का नारा लगा लेते हैं, पर गांधी जी ने कभी ऐसा नहीं किया़ वे किसी भी विषय के हर पक्ष की सुनते थे़
होमवर्क करते थे़ यह बातें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कही़ वे युवा पत्रकार संजय कृष्ण के संपादन में पुनर्प्रकाशित महावीर के सत्याग्रह अंक के लोकार्पण और भवानी दयाल सन्यासी के जीवन पर आयोजित परिचर्चा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे़ कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को रांची प्रेस क्लब के सभागार में किया गया़ उन्होंने कहा कि दुनिया आज न्यूक्लियर युद्ध, सही आर्थिक मॉडल, पर्यावरण आदि की चुनौतियाें से जूझ रही है़ इन चुनौतियों का समाधान गांधीवादी दर्शन में है़ गांधी जी ने कहा था कि जरूरत हो, पर लालच नहीं.
आज हम सबकी नियति जाति-धर्म की सीमाओं को तोड़ कर एक हो गयी है़ इसलिए गांधीजी जो कह गये, उसे याद रखने की जरूरत है़ उनकी बातों को सामने लाना, उस समय के नैतिक बल और चरित्र को सामने लाना, चरित्र को मजबूत करना व संकल्प को ताकत देना बड़ा काम है़ आज गांधी को जानना इसलिए जरूरी है, क्योंकि दुनिया तभी ठहर सकती है, बच सकती है, जीवित रह सकती है़
जरूरी है इतिहास को याद रखना : उन्होंने कहा कि चर्चिल ने दूसरे विश्वयुद्ध में, जब ब्रिटेन पराजय की मन:स्थिति में था, तब उसकी नियति बदल दी़ उनका कहना था कि जितनी दूर तक हम अपने अतीत को, अपने इतिहास, पुरानी धरोहर, प्रेरणा पुरुषों को याद करते हैं, उतना ही आगे का हम नया भविष्य बना सकते हैं. इतिहास का यह धर्म और काम ही है कि वह समाज को भविष्य के लिए ताकत दे़ संजय कृष्ण ने विलक्षण और अलग काम किया है़ उन्होंने रांची प्रेस क्लब को बौद्धिक परामर्श का केंद्र बनाने की सलाह दी़ साथ ही भवानी दयाल सन्यासी के जीवन पर भी प्रकाश डाला़
सत्याग्रह आंदोलन का जीवंत दस्तावेज
महावीर के सत्याग्रह अंक के संपादक संजय कृष्ण ने बताया कि महावीर का सत्याग्रह विशेषांक 1931 में निकला था़ यह पत्रिका पटना से निकला करती थी और छह साल तक इसका जीवनकाल रहा़ रांची के नामी साहित्यकार राधाकृष्ण ने इसी पत्रिका से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की थी़
यह पत्रिका सत्याग्रह आंदोलन का जीवंत दस्तावेज है़ पत्रिका मुझे संतुलाल पुस्तकालय में मिली़ बिहार में भी यह पत्रिका उपलब्ध नहीं है़ इसके पुनर्प्रकाशन से इतिहास की यह धरोहर नष्ट होने से बच गयी है़ इसे प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है और यह ऑनलाइन भी उपलब्ध है़
देश की मूल विचारधारा के प्रतीक हैं गांधी
इस अवसर पर पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि गांधीजी इस देश की मूल विचारधारा के प्रतीक हैं. सत्याग्रह हमारे देश, समाज के जीन में है़ गांधीजी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का कोई विकल्प नहीं है़ महात्मा गांधी की हम जितनी चर्चा करते हैं, उतना ही अपने अस्तित्व से एकाकार होते हैं.
इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश सिंह ने किया, वहीं धन्यवाद ज्ञापन प्रभात प्रकाशन के राजेश शर्मा ने किया़ कार्यक्रम में खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ, रांची प्रेस क्लब के महासचिव शंभुनाथ चौधरी समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे़

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