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असर-2018 की रिपोर्ट में खुलासा : 50.9% प्राइमरी स्कूलों में 60 से कम बच्चे पढ़ते हैं

राष्ट्रीय स्तर पर नामांकन में दर्ज की जा रही है कमी रांची : राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या नहीं बढ़ रही है. ‘प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन’ द्वारा जारी असर-2018 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 2010 में 20 फीसदी स्कूल ही ऐसे थे, जिसमें 60 या उससे कम बच्चे नामांकित थे. इसके बाद […]

राष्ट्रीय स्तर पर नामांकन में दर्ज की जा रही है कमी

रांची : राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या नहीं बढ़ रही है. ‘प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन’ द्वारा जारी असर-2018 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 2010 में 20 फीसदी स्कूल ही ऐसे थे, जिसमें 60 या उससे कम बच्चे नामांकित थे.

इसके बाद से राज्य में ऐसे विद्यालयों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई होती है. ऐसे में अगर किसी प्राथमिक विद्यालय में 60 बच्चे नामांकित हैं तो प्रति कक्षा औसतन 12 बच्चे नामांकित हैं.

यह आंकड़ा 2014 में 42.5% था. वहीं 2016 में ऐसे विद्यालयों की संख्या बढ़ कर 52.1% हो गयी. 2016 की तुलना में 2018 में ऐसे विद्यालयों की संख्या में मामूली कमी है. ऐसे विद्यालयों की संख्या में कमी आने के बाद भी राज्य में 50.9% विद्यालय ऐसे हैं, जिसमें 60 से उससे कम बच्चे नामांकित हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही विद्यालयों की संख्या : रिपोर्ट के अनुसार कम बच्चे वाले स्कूलों की संख्या में राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ोतरी हो रही है. देश के दस सरकारी स्कूलों में से चार प्राथमिक विद्यालय में बच्चों का नामांकन 60 से कम हैं. 2019 में ऐसे विद्यालयों की संख्या 26.1 फीसदी थी. 2011 में यह बढ़कर 30 फीसदी, 2013 में 33.1 फीसदी, 2016 में 39.8 फीसदी और 2018 में यह बढ़ कर 43.3 फीसदी हो गयी.

आठ साल पहले झारखंड में ऐसे स्कूलों की संख्या 20% थी

राज्य में विद्यालयों का विलय प्रमुख कारण है कमी का

राज्य में ऐसे विद्यालयों की संख्या में कमी आने का मुख्य कारण विद्यालयों का विलय माना जा रहा है. राज्य में कम संख्या वाले लगभग छह हजार विद्यालयों का विलय किया गया है.

इतनी अधिक संख्या में विद्यालयों के विलय के बाद भी झारखंड में कम बच्चों वाले विद्यालयों की संख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक है. राष्ट्रीय स्तर पर 43.3 फीसदी प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जिसमें 60 या उससे कम बच्चे नामांकित हैं, जबकि झारखंड में ऐसे विद्यालयों की संख्या 50.9 फीसदी है.

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