रिम्स के किचन का खाना खाकर सामान्य व्यक्ति भी बीमार बन सकता है. इन दिनों रिम्स से मरीजों को जो खाना मिल रहा है, वह खाने लायक नहीं है. यह आरोप रिम्स में भरती कई मरीजों व उनके परिजनों का है, जो यहां से खाना लेते हैं. खाना नि:शुल्क मिलता है, पर इसे लेना आसान नहीं है. उन्हें घंटों कतारबद्ध होकर लाइन लगनी पड़ी है. औसतन यहां 1100 सौ मरीजों के लिए खाना बनता है. इसके लिए सरकार हर महीने रिम्स प्रबंधन को 14 से 15 लाख रुपये देती है. सोमवार को प्रभात खबर संवाददाता राजीव पांडेय एवं छायाकार राजीव ने यहां की स्थिति का जायजा लिया.
दाल के नाम पर सिर्फ पानी
रांची: रिम्स के किचन से तैयार दाल में सिर्फ पानी ही नजर आ रहा था. दाल के दाने गायब थे. जब खाना बांटनेवाले से पूछा गया कि दाल इतनी पतली क्यों है, तो उसका कहना था कि हमें जो बांटने के लिए दिया जाता है, वही बांट रहे हैं.
हरी सब्जी की जगह केवल आलू : चिकित्सक अपने परामर्श में कहते हैं कि हरी सब्जी एवं फल का प्रचूर मात्र में सेवन करना चाहिए. लेकिन, रिम्स के किचन से तैयार हो रहे भोजन में हरी सब्जी कहीं नजर नहीं आयी. आलू की सब्जी थी. वह भी अधपका था. आलू-परवल की सब्जी में परवल का कहीं नामोनिशान नहीं था.
चावल ऐसा, जिसे निगलना मुश्किल : मरीजों को दिया जा रहा चावल इतना मोटा था कि मरीजों को उसे खाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी. भात अधपका था. इस संबंध में जब परिजनों ने खाना बांटनेवाले से सवाल किया, तो वह भड़क गया. कहा, खाओगे तब न पता चलेगा.