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रांची : पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कोलकाता में उठाया मुद्दा, मसानजोर विवाद का वार्ता से होगा हल

कोलकाता/रांची : पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मसानजोर डैम का मुद्दा उठाया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में तय हुआ कि इस मसले के समाधान के लिए दोनों राज्यों के बीच अधिकारी स्तर पर बातचीत होगी. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में कोलकाता […]

कोलकाता/रांची : पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मसानजोर डैम का मुद्दा उठाया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में तय हुआ कि इस मसले के समाधान के लिए दोनों राज्यों के बीच अधिकारी स्तर पर बातचीत होगी. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में कोलकाता में आयोजित बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा कि बातचीत के माध्यम से विवाद का हल निकाला जाना चाहिए. साथ ही दोनों राज्यों के विकास के लिए जरूरी है कि साथ मिलकर काम करें और परस्पर सहयोग की भावना रखें.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले मसानजोर डैम के मालिकाना हक को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार व झारखंड सरकार में ठन गयी थी. हालांकि, यह डैम झारखंड के दुमका में बना हुआ है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार का दावा है कि यह डैम उनकी सरकार के अधीन है. पश्चिम बंगाल के सिंचाई विभाग द्वारा डैम के भवन की रंगाई कर वहां पश्चिम बंगाल सरकार को बोर्ड लगा दिया था, जिसे लेकर विवाद काफी बढ़ गया था.
बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के सीएम रघुवर दास, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और ओड़िशा के वित्त मंत्री ने हिस्सा लिया.
चार मुद्दों पर नहीं बन पायी सहमति
बैठक के दौरान चार मुद्दों पर अभी भी सहमति नहीं बन पायी. सूत्रों के अनुसार, फूलबाड़ी बांध को लेकर वर्ष 1978 में पश्चिम बंगाल व बिहार सरकार के बीच समझौता हुआ था, लेकिन इस बांध के मालिकाना हक को लेकर अभी भी विवाद बना हुअा है. इसके साथ ही पश्चिम बंगाल की ओर से दामाेदर घाटी निगम द्वारा राज्य सरकार को जानकारी दिये बिना पानी छोड़ने के मुद्दे को भी उठाया गया, लेकिन इस मुद्दे पर कोई ठोस सहमति नहीं बन पायी.
दुमका में बने डैम के मािलकाना हक को लेकर झारखंड व बंगाल के अधिकारी स्तर पर होगी बातचीत
बिहार को पेंशनदेयता मद में और 597 करोड़ देगा झारखंड : सुशील मोदी
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में 18 वर्षों से बिहार और झारखंड के बीच जारी पेंशनदेयता के विवाद का औपबंधिक हल निकल गया. यह जानकारी सोमवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दी.
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक आबादी के अनुपात के आधार पर झारखंड ने बिहार को एक महीने के अंदर 597.13 करोड़ देने पर अपनी सहमति दी. वहीं, केंद्र सरकार बिहार को बीआरजीएफ के बकाया मद का 751 करोड़ भी शीघ्र निर्गत कर देगा. इसके अलावा बिहार में तैनात सीआरपीएफ की पांच बटालियन में से दो कंपनी को वापस लेने के निर्णय पर पुनर्विचार का आग्रह भी केंद्र से किया गया. बिहार और झारखंड के बीच अन्य मुद्दों को दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच बैठक कर निपटारा करने पर सहमति बनी.
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि बिहार पुनर्गठन विधेयक 2000 के अनुसार पेंशनदेयता का निर्धारण कर्मचारियों की संख्या के अनुपात के आधार पर करना था. जबकि, झारखंड आबादी के अनुपात के आधार पर चाहता है.
इस मुद्दे को लेकर झारखंड सुप्रीम कोर्ट भी गया, मगर उसे कोई स्टे नहीं मिला और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बेंच में हस्तांतरित कर दिया. 2012 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2010-11 तक की देयता के आधार पर झारखंड को 2,584 करोड़ भुगतान करने का निर्णय दिया. बाद में 2011-12 से 2016-17 तक पेंशनदेयता 2,584 करोड़ से बढ़ कर कुल 3,572 करोड़ हो गयी, जिसके विरुद्ध 2017-18 तक अलग-अलग वर्षों में झारखंड ने बिहार को 936.82 करोड़ का भुगतान किया.

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